https://youtu.be/dSAfJpRXgew
"कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िन्दगी ने मारा"
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िन्दगी ने मारा"
Singer : Akhlaq Ahmed
Pakistani Movie : Meharbani (1982)
Music : M.Ashraf
Lyrics : Masroor Anwar
1985 में प्रदर्शित फ़िल्म- ‘अलग अलग’ में एक बेहद खूबसूरत गाना है – ‘कभी बेक़सी ने मारा, कभी बेबसी ने मारा’ ! इस गाने को ‘आर.डी.बर्मन’ के संगीत निर्देशन में ‘किशोर कुमार’ ने गाया था, जिसे फ़िल्म में ‘राजेश खन्ना’ पर फिल्माया गया था !
दरअसल ये गाना 1982 में रिलीज हुयी पाकिस्तान की फ़िल्म- ‘मेहरबानी’ से ‘कॉपी’ किया गया था ! ‘मसरूर अनवर’ के लिखे इस गाने को ‘एम अशरफ’ के संगीत निर्देशन में गायक ‘अख़लाक़ अहमद’ ने गाया था !
Masroor Anwar (8 December 1944 – 1 April 1996) was a ghazal poet, film song lyricist and a screenwriter. He wrote the lyrics for 'Ko Ko Korina', South Asia's first pop song, and working alongside Sohail Rana, film director Pervez Malik and film producer and actor Waheed Murad in the 1960s, was part of the country's golden age of cinema helping establish Karachi as a major hub for film production.
He died in Lahore on 1 April 1996 at age 51. In the history of Pakistani cinema, Masroor Anwar was considered one of the best film song writers. Besides film songs, he also wrote some touching popular patriotic songs.
He died in Lahore on 1 April 1996 at age 51. In the history of Pakistani cinema, Masroor Anwar was considered one of the best film song writers. Besides film songs, he also wrote some touching popular patriotic songs.
Akhlaq Ahmed (10 January 1946 – 4 August 1999) was a Pakistani film playback singer.
He was born in Delhi in 1946 and started as a stage singer in the 1960s in Karachi, when he was a member of a famous singing group with two other artists, Masood Rana and Nadeem.[1] Akhlaq Ahmad was the third generation of male playback singers in the Pakistan film industry. He struggled for many years, but gained some recognition in the 1970s as a playback singer. "Sona Na Chandi Na Koi Mahal" film song in film Bandish (1980), and "Sawan Aye Sawan Jaye" in film Chahat (1974), are his big hit film songs. Both of these film songs were composed by music director Robin Ghosh] His song tally is under one hundred songs. Famous Indian singer Sonu Nigam sang many songs of Akhlaq Ahmed as Sonu's voice closely resembles with Akhlaq's and released these songs in late 1990s.
Nigar Award for Best Male Playback Singer – won this award 7 times in 1980, 1982, 1983, 1984, 1986, 1987 and in 1990
He was born in Delhi in 1946 and started as a stage singer in the 1960s in Karachi, when he was a member of a famous singing group with two other artists, Masood Rana and Nadeem.[1] Akhlaq Ahmad was the third generation of male playback singers in the Pakistan film industry. He struggled for many years, but gained some recognition in the 1970s as a playback singer. "Sona Na Chandi Na Koi Mahal" film song in film Bandish (1980), and "Sawan Aye Sawan Jaye" in film Chahat (1974), are his big hit film songs. Both of these film songs were composed by music director Robin Ghosh] His song tally is under one hundred songs. Famous Indian singer Sonu Nigam sang many songs of Akhlaq Ahmed as Sonu's voice closely resembles with Akhlaq's and released these songs in late 1990s.
Nigar Award for Best Male Playback Singer – won this award 7 times in 1980, 1982, 1983, 1984, 1986, 1987 and in 1990
आप सुनते हैं, हाल-ए-दिल मेरा,
यह इनायत है मेहरबानी है,
वर्ना मैं क्या, मेरी हक़ीक़त क्या,
इस क़दर बस मेरी कहानी है
यह इनायत है मेहरबानी है,
वर्ना मैं क्या, मेरी हक़ीक़त क्या,
इस क़दर बस मेरी कहानी है
कभी ख्वाहिशों ने लूटा,
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा,
गिला मौत से नहीं है,
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा,
गिला मौत से नहीं है,
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
दिल के जलते हुए जंगल को बतौर-ए-तूफ़ां,
दुनिया वालों ने फ़क़त तेज़ हवाएं दी हैं।
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो लोगों ने हमें,
कभी नफ़रत, कभी मरने की दुआएं दी हैं।
दुनिया वालों ने फ़क़त तेज़ हवाएं दी हैं।
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो लोगों ने हमें,
कभी नफ़रत, कभी मरने की दुआएं दी हैं।
कहाँ तक फ़रेब खाएं, यहाँ किसको आज़माएँ,
यहाँ किसको आज़माएँ,
किया ऐतबार जिस पे, उसी आदमी ने मारा।
यहाँ किसको आज़माएँ,
किया ऐतबार जिस पे, उसी आदमी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है,
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
सहते-सहते सितम ज़माने के,
पैकर-ए-यास हो गए हैं हम,
फूल मारो तो चोट लगती है,
इतने हस्सास हो गए हैं हम,
पैकर-ए-यास हो गए हैं हम,
फूल मारो तो चोट लगती है,
इतने हस्सास हो गए हैं हम,
मेरी दास्ताँ न पूछो, मेरे ज़ख्म गिन के देखो,
मेरे ज़ख्म गिन के देखो,
वो ग़रीब-ए-शह्र हूँ मैं , जिसे बेक़सी ने मारा।
मेरे ज़ख्म गिन के देखो,
वो ग़रीब-ए-शह्र हूँ मैं , जिसे बेक़सी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है,
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
क्या शिकायत करें किसी से हम,
जब नसीबों में ही बहार नहीं,
लोग झुक कर सलाम करते हमें,
क्या कहें वक़्त साज़गार नहीं,
जब नसीबों में ही बहार नहीं,
लोग झुक कर सलाम करते हमें,
क्या कहें वक़्त साज़गार नहीं,
न ज़मानासाज हूँ मैं, न गरज़ है माल-ओ-ज़र से
मेरे दोस्तों मुझे तो, मेरी सादगी ने मारा।
मेरे दोस्तों मुझे तो, मेरी सादगी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है,
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
गिला मौत से नहीं है, हमें ज़िंदगी ने मारा।
कभी ख्वाहिशों ने लूटा, कभी बेबसी ने मारा।
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