https://youtu.be/J3Cq1KS53Iw
नासिर काज़मी (१९२३ - १९७२)
आधुनिक उर्दू ग़ज़ल के संस्थापकों में से एक हैं। भारत के शहर अंबाला
(हरियाणा) में पैदा हुए और देश विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए
जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।
बर्गे-नय, दीवान, एतबारे-नग़मा उनके कुछ मशहूर ग़ज़ल संग्रह हैं।
(हरियाणा) में पैदा हुए और देश विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए
जहाँ बटवारे के दुख दर्द उनकी शायरी का केंद्रीय विषय बन गए।
बर्गे-नय, दीवान, एतबारे-नग़मा उनके कुछ मशहूर ग़ज़ल संग्रह हैं।
तसव्वुर ख़ानम (जन्म १९५०),
पाकिस्तान की मशहूर ग़ज़ल गायिका एवं पाकिस्तानी फिल्मों की सफल
पार्श्व गायिका हैं। १९७० एवं १९८० के दशक में पाकिस्तान के टेलीविज़न
और फिल्मों में उनके गायन की धूम थी। उन्हें वर्ष २००६ में पाकिस्तान के
राष्ट्रपति का 'प्राइड ऑफ परफॉर्मेन्स अवार्ड' भी मिल चूका है।
पार्श्व गायिका हैं। १९७० एवं १९८० के दशक में पाकिस्तान के टेलीविज़न
और फिल्मों में उनके गायन की धूम थी। उन्हें वर्ष २००६ में पाकिस्तान के
राष्ट्रपति का 'प्राइड ऑफ परफॉर्मेन्स अवार्ड' भी मिल चूका है।
दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी
कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी
शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी
भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी
तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामुशी है अभी
याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभीशहर की बे-चराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढूँडती है अभी
सो गए लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी
तुम तो यारों अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी
वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी
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