Aryana Sayeed, born 14 July, 1985, Kabul, Afghanistan, is an
Afghan singer, songwriter and TV personality. She sings mostly in
Dari but also has many songs in Pashto. She is one of Afghanistan's
most famous musical artists, performing regularly in concerts and
philanthropic festivals within and outside
Afghanistan.
अफ़गानी गीत
न न न न नइ नइ नइ नइ नइ न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न ये ये ये ये ये न न न न नइ नइ नइ नइ नइ न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न ये ये ये ये ये शीरीनु यारी दारम, यारु बावफ़ा एन दिलि बा ख़ुदि मीबरह बा यख़ निगाह मीख़वाम अमरम बा ओ यख़ जा बगज़रह वक़्ते मीबींमश हालिम बहतरह मीख़वाम अमरम बा ओ यख़ जा बगज़रह वक़्ते मीबींमश हालिम बहतरह दो चश्म आहो दारह लबख़ंदश जादू दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल बा एन दिलि बाज़ी दारह दो चश्म आहो दारह लबख़ंदश जादू दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल बा एन दिलि बाज़ी दारह आशिक़ु शदम सुरु यारु अज़ आशिक़ी दिलि ओगार एन दर्दु दिलि दवाएश हसतह द पीशख यारु आशिक़ु शदम सुरु यारु अज़ आशिक़ी दिलि ओगार एन दर्दु दिलि दवाएश हसतह द पीशख यारु दो चश्म आहो दारह लबख़ंदश जादू दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल बा एन दिलि बाज़ी दारह दो चश्म आहो दारह लबख़ंदश जादू दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल बा एन दिलि बाज़ी दारह दरु बामु दिलि नशिस्ता ख़ुश्बू तिरु अज़ गुलु हसतह दरु एन रोज़ु हाय तारीख़ ओ नोरु खाबल हसतह दरु बामु दिलि नशिस्ता ख़ुश्बू तिरु अज़ गुलु हसतह दरु एन रोज़ु हाय तारीख़ ओ नोरु खाबल हसतह दो चश्म आहो दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल दो चश्म आहो दारह लबख़ंदश जादू दारह ए बच्चा शहर-ए-खाबल बा एन दिलि बाज़ी दारह न न न न नी नी नी नी नी न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न ये ये ये ये ये न न न न नइ नइ नइ नइ नइ न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न नाए नाए नाए नाए नाए न न न न ये ये ये ये ये
हिंदी अनुवाद (गूगल ट्रांसलेट)
नहीं नहीं नहीं नहीं नी नी नी नि नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नी नी नी नि नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं मेरे पास एक प्यारी मदद है, मेरे वफादार दोस्त यह एक नज़र में दिल को अपने साथ ले लेता है मैं उसके साथ अपना जीवन बिताना चाहता हूँ जब मैं उसे देखता हूं तो मुझे अच्छा लगता है मैं उसके साथ अपना जीवन बिताना चाहता हूँ जब मैं उसे देखता हूं तो मुझे अच्छा लगता है इसकी दो हिरण आंखें हैं उनकी मुस्कान जादुई है हे काबुली के बच्चे इस दिल से खेल रहा है इसकी दो हिरण आंखें हैं उनकी मुस्कान जादुई है हे काबुली के बच्चे इस दिल से खेल रहा है मुझे अपने दोस्त से प्यार हो गया ओगर के दिल के प्यार से ये है उनके दिल का दर्द पिस्क यारो का कोर मुझे अपने दोस्त से प्यार हो गया ओगर के दिल के प्यार से ये है उनके दिल का दर्द पिस्क यारो का कोर इसकी दो हिरण आंखें हैं उनकी मुस्कान जादुई है हे काबुली के बच्चे इस दिल से खेल रहा है इसकी दो हिरण आंखें हैं उनकी मुस्कान जादुई है हे काबुली के बच्चे इस दिल से खेल रहा है दिल की छत पर बैठी फूल से अधिक सुगंधित इन काले दिनों में और अँधेरे में
दिल की छत पर बैठी फूल से अधिक सुगंधित इन काले दिनों में और अँधेरे में इसकी दो हिरण आंखें हैं हे काबुली के बच्चे इसकी दो हिरण आंखें हैं उनकी मुस्कान जादुई है हे काबुली के बच्चे इस दिल से खेल रहा है नहीं नहीं नहीं नहीं नी नी नी नि नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नी नी नी नि नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं, नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं
अनुवाद- सखि, कैसी आश्चर्य की बात है कि इस शारदीय रासोत्सव में श्रीकृष्ण मुझे छोड़कर अन्य कामिनियों के साथ कौतुक आमोद में विलास कर रहे हैं। फिर भी मेरा मन उनका पुन: पुन: स्मरण कर रहा है। वे सञ्चरणशील अपने मुखामृत को अपने करकमल में स्थित वेणु में भरकर फुत्कार के साथ सुमधुर मुखर स्वरों में बजा रहे हैं, अपांग-भंगी के द्वारा अपने मणिमय शिरोभूषण को चञ्चलता प्रदान कर रहे हैं, उनके कानों के आभूषण कपोल देश में दोलायमान हो रहे हैं, उनके इस श्याम रूप का, उनके हास-परिहास का मुझे बारम्बार स्मरण हो रहा है ॥1॥
In my heart of hearts, I still remember the captivating form of Krishna, with sweetness spilling from his lips, enchanting melodies flowing from his flute, eyes wavering, headgear quivering, cheeks trembling. I remember Hari, his frolics in the rasa dance and his making a laughing stock of me.
अनुवाद- अतिशय रोमाञ्च से परिप्लुत होकर अपने सुकोमल भुज-पल्लव के द्वारा हजारों-हजारों गोप-युवतियों को समालिंगित करने वाले एवं कर, चरण और वक्षस्थल में ग्रथित मणिमय आभूषणों की किरणों से दिशाओं को आलोकित करने वाले श्रीकृष्ण का मुझे स्मरण हो रहा है।
I remember Hari who encircles with his hands, soft as leaf buds, a thousand young gopis and who dispels the darkness (of the night) by the dazzle of ornaments, studded with diamonds and precious gems, adorning his hands, feet and chest. I now remember. Hari etc……..
अनुवाद- सखि, कैसी आश्चर्य की बात है कि इस शारदीय रासोत्सव में श्रीकृष्ण मुझे छोड़कर अन्य कामिनियों के साथ कौतुक आमोद में विलास कर रहे हैं। फिर भी मेरा मन उनका पुन: पुन: स्मरण कर रहा है। वे सञ्चरणशील अपने मुखामृत को अपने करकमल में स्थित वेणु में भरकर फुत्कार के साथ सुमधुर मुखर स्वरों में बजा रहे हैं, अपांग-भंगी के द्वारा अपने मणिमय शिरोभूषण को चञ्चलता प्रदान कर रहे हैं, उनके कानों के आभूषण कपोल देश में दोलायमान हो रहे हैं, उनके इस श्याम रूप का, उनके हास-परिहास का मुझे बारम्बार स्मरण हो रहा है ॥1॥
अनुवाद- अर्द्धचन्द्रकार से सुशोभित अति मनोहर मयूर-पिच्छ से वेष्टित केश वाले तथा प्रचुर मात्र में इन्द्रधनुषों से अनुरञ्जित नवीन जलधर पटल के समान शोभा धारण करने वाले श्रीकृष्ण का मुझे अधिक स्मरण हो रहा है।
अनुवाद- गोपललनाओं के मुखकमल का चुम्बन करने की अभिलाषा से इस अनंग उत्सव में अपने मुख को झुकाये हुए, उनका सुकुमार अधर पल्लव बन्धुक कुसुमवत् मनोहारी अरुण वर्णीय हो रहा है, स्फूर्त्तियुक्त मन्द-मुस्कान की अपूर्व शोभा उनके सुन्दर मुखमण्डल में विस्तार प्राप्त कर रही है, ऐसे उन श्रीकृष्ण का मुझे अति स्मरण हो रहा है।
अनुवाद- अतिशय रोमाञ्च से परिप्लुत होकर अपने सुकोमल भुज-पल्लव के द्वारा हजारों-हजारों गोप-युवतियों को समालिंगित करने वाले एवं कर, चरण और वक्षस्थल में ग्रथित मणिमय आभूषणों की किरणों से दिशाओं को आलोकित करने वाले श्रीकृष्ण का मुझे स्मरण हो रहा है।
अनुवाद- अपने ललाट में मनोहर चन्दन के तिलक को धारणकर नवीन जलद मण्डल में विद्यमान चञ्चल चन्द्रमा की महती शोभा को पराभूत कर अनिर्वचनीय सुषमा को धारण करने वाले एवं वर युवतियों के पीन पयोधरों के अमूल्य प्रान्त भाग को अपने सुविशाल सुदृढ़ वक्ष:स्थल से निपीड़ित करने में सतत अनुरक्त कवाटमय (किवाड़ स्वरूप) निर्दय-हृदय श्रीकृष्ण का मुझे बार-बार स्मरण हो रहा है।
अनुवाद- जिनके कपोल-युगल मणिमय मनोहर मकराकृति कुण्डलों के द्वारा सुशोभित हो रहे हैं, जिन्होंने कामिनी जनों के मनोभिलाष को पूर्ण करने में महान उदार भाव अर्थात दक्षिण नायकत्व को धारण किया है, जिन पीताम्बरधारी श्रीकृष्ण ने अपनी माधुरी का विस्तार कर सुर, असुर, मुनि, मनुष्य आदि अपने श्रेष्ठ परिवार को प्रेमरस में सराबोर कर दिया है, उन श्रीकृष्ण का मुझे बरबस ही स्मरण हो रहा है।
अनुवाद- विशाल एवं सुविकसित कदम्ब वृक्ष के नीचे समागत होकर मेरी अपेक्षा में प्रतीक्षा करने वाले विविध प्रकार के आश्वासनयुक्त चाटुवचनों के द्वारा विच्छेद भय को सम्यक् रूप से अपनयन (दूरीभूत) करने वाले प्रबलतर अनंग रस के द्वारा चंचल नेत्रों से तथा नितान्त स्पृहायुक्त मानस में मेरे साथ मन-ही-मन रमण करने वाले श्रीकृष्ण का स्मरण कर मेरा हृदय विकल हो रहा है।
अनुवाद- श्रीजयदेव कवि ने सम्प्रति हरिचरण स्मृतिरूप इस काव्य को भगवद्-भक्तिमान पुण्यशाली पुरुषों के लिए प्रस्तुत किया है, जिसमें श्रीकृष्ण के अतिशय सुन्दर मोहन रूप का वर्णन हुआ है। इसका आस्वादन मुख्यरस के आश्रय में रहकर ही किया जाना चाहिये।