https://youtu.be/RIBsRon0oaY
गीत : धनराज दधीच
स्वर : आकांक्षा शर्मा
नृत्य : निशा
स्वर : आकांक्षा शर्मा
नृत्य : निशा
रूप नगर का थे हो राजा
लाघो घना सरूप ,
रूप नगर का थे हो राजा
लाघो घना सरूप ,
मैं चुनर की छाया कर दू लाग न जावे धूप
लाघो घना सरूप ,
रूप नगर का थे हो राजा
लाघो घना सरूप ,
मैं चुनर की छाया कर दू लाग न जावे धूप
बना थाको चाँद जसो उनियारो
बना थाको चाँद जसो उनियारो
थाने नैना लूं बसाय
बना माने थे लागो लाखेना
थान्की निजर नहीं लग जाए
बना थाको चाँद जसो उनियारो
थाने नैना लूं बसाय
केसरियो था केसर साजे
कमर कसी तलवार
केसरियो था केसर साजे
कमर कसी तलवार
थारा नैना होय कालजे पार
बन्ना थान्न्की मिश्री सु मीठी बोली
महारे तो मनडे भाये
बनाना थाकी चाल गजब मटवाली
देख्या बिन रयो ना जाये
बना थाको चाँद जसो उनियारो
थाने नैना लूं बसाय
निरख निरख में थाकी सूरत खुद ने जाउ भूल
निरख निरख में थाकी सूरत खुद ने जाउ भूल
आओ ठाणे आज बनालू में म्हारो शीशफुल
बन्ना थे तो जीव जड़ी हो म्हारी
थाने पलका लाउ बसाये
बना में तो सोनप दियो सब थाने
महाने रखो अंग लगाये
बना माने थे लागो लाखेना
थान्की निजर नहीं लग जाए
बना थाको चाँद जसो उनियारो
थाने नैना लूं बसाय.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें