https://youtu.be/Bb7o4f6GBMM
राम जपु, राम जपु, राम जपु बावरे ।
घोर भव-नीर-निधि, नाम निज नाव रे ।।१।।
एक ही साधन, सब रिद्धि-सिद्धि साधि रे।
ग्रसे कलि-रोग, जोग-संजम-समाधि रे।।२।।
भलो जो है,पोच जो है,दाहिनो जो वाम रे।
राम-नाम ही सों, अंत सब ही को काम रे।।३।।
जग-नभ-वाटिका, रही है फलि-फूलि रे।
धुवाँ कैसे धौरहर देखि, तू न भूलि रे ।।४।।
राम-नाम छांडि जो, भरोसो करै और रे।
तुलसी परोसो त्यागि, माँगे कूर कौर रे ।।५।।
अर्थ
- रे पागल ! राम जप, राम जप, राम जप।
इस संसार रूपी समुद्र से पार उतरने के लिये श्री राम नाम रूपी
अपनी नाव है। ।।१।।
सिर्फ़ एक ही साधन ( श्री राम नाम ) के बल से
सब ऋद्धि सिद्धि सध जायेंगी , वैसे भी योग , संयम , समाधि आदि
साधनों को कलिकाल ( कलयुग ) रूपी रोग ने ग्रस रखा है।।।२।।
भला हो या बुरा हो , उल्टा हो कि सीधा हो सभी को अन्त समय मे
( मृत्यु के समय ) राम नाम ही काम आयेगा । ।।३।।
इस संसार के आकाश में भ्रम से जो बग़ीचे के समान फल फूल
दिख रहे हैं वे भ्रम के अलावा कुछ भी नहीं हैं , धुँए के बादल सरीखे
पल पल दिखने मिटने वाले सांसारिक पदार्थों को देखकर तू भूल मत।।।४।।
दिख रहे हैं वे भ्रम के अलावा कुछ भी नहीं हैं , धुँए के बादल सरीखे
पल पल दिखने मिटने वाले सांसारिक पदार्थों को देखकर तू भूल मत।।।४।।
श्री राम नाम को छोड़ कर जो दूसरों का भरोसा करता है वह उस मूर्ख के
समान है जो सामने परोस कर रखे भोजन को छोड़ कर एक एक कौर के
लिये कुत्ते के समान घर घर माँगता फिरता है।।।५।।
समान है जो सामने परोस कर रखे भोजन को छोड़ कर एक एक कौर के
लिये कुत्ते के समान घर घर माँगता फिरता है।।।५।।
।। जय श्री राम ।।
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