https://youtu.be/sr1MLKoDj6M
'वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें'
नामक कविता के लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे।
जिनका जन्म 1893 ई. में ग्राम 'साइमल की टिकड़ी'
जिला मेरठ, उत्तर-प्रदेश में हुआ था।
नामक कविता के लेखक मुरारीलाल शर्मा बालबंधु थे।
जिनका जन्म 1893 ई. में ग्राम 'साइमल की टिकड़ी'
जिला मेरठ, उत्तर-प्रदेश में हुआ था।
आश्चर्य की बात ये कि इतनी ज्यादा लोकप्रिय प्रार्थना/कविता
के लेखक के बारे में लोगों को पता नहीं है। इन्टरनेट पर
भी इस कविता के लेखक के बारे में मतभेद पाया गया है।
कई वेबसाइट्स पर लिखा है कि इसके लेखक
मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु' थे परंतु कई विद्वानों ने कहा
है कि ये कविता श्री परशुराम पान्डे जी द्वारा लिखित है।
परशुराम पान्डे जी मध्यप्रदेश के रीवा जिले की गुढ तहसील
में द्वारी ग्राम के निवासी थे।
के लेखक के बारे में लोगों को पता नहीं है। इन्टरनेट पर
भी इस कविता के लेखक के बारे में मतभेद पाया गया है।
कई वेबसाइट्स पर लिखा है कि इसके लेखक
मुरारीलाल शर्मा 'बालबंधु' थे परंतु कई विद्वानों ने कहा
है कि ये कविता श्री परशुराम पान्डे जी द्वारा लिखित है।
परशुराम पान्डे जी मध्यप्रदेश के रीवा जिले की गुढ तहसील
में द्वारी ग्राम के निवासी थे।
वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्त्तव्य मार्ग पर डट जावें। पर-सेवा पर-उपकार में हम, जग-जीवन सफल बना जावें॥ ॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥ हम दीन-दुखी निबलों-विकलों के, सेवक बन संताप हरें। जो हैं अटके, भूले-भटके, उनको तारें खुद तर जावें॥ ॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥ छल, दंभ-द्वेष, पाखंड-झूठ, अन्याय से निशिदिन दूर रहें। जीवन हो शुद्ध सरल अपना, शुचि प्रेम-सुधा रस बरसावें॥ ॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥ निज आन-मान, मर्यादा का, प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे। जिस देश-जाति में जन्म लिया, बलिदान उसी पर हो जावें॥ ॥ वह शक्ति हमें दो दयानिधे…॥
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