शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा.../ गीत : फराज़ / गायन : नाहीद अख़्तर

https://youtu.be/fbpRtTuYGn4   


कुछ उनकी ज़फाओं ने लूटा कुछ उनकी इनायत मार गई 
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके चुप रहने की आदत मार गई
 
वो कौन हैं जिन को जीने का पैग़ाम मोहब्बत देती है
हम को तो ज़माने में ऐ दिल, बेदर्द मोहब्बत मार गई 

दिल ने भी बहुत मजबूर किया मिलने को भी लाखों बार मिले
जी भर के उन्हें न देखा न गया आँखों की शराफत मार गई 

दोनों से शिकायत है लेकिन, इल्ज़ाम लगायें हम किस पर 
कुछ दिल ने हमें बरबाद किया और कुछ हमें किस्मत मार गई

सोमवार, 31 मार्च 2025

इन्तज़ार-ए-सबा रहा बरसों.../ शायर : क़ैसर-उल-जाफ़री / गायन : काव्या लिमये

https://youtu.be/MUld7FONYjc   

इन्तज़ार-ए-सबा रहा बरसों
इक दरीचा खुला रहा बरसों


एक दिन उनका प्यार बरसा था
और मैं भीगता रहा बरसों


उनकी आँखों के ज़ाम याद रहे
बिन पिये भी नशा रहा बरसों


फ़ासले कम न हो सके कैसर
आमना-सामना रहा बरसों

शनिवार, 29 मार्च 2025

शुभ नव संवत्सर....

 

आप के एवं आप के परिवार के लिए 
नव-संवत्सर की हार्दिक शुभकामनायें।

पुण्य-पंथ  पर,  नव-प्रयाण  हो,
धवल कीर्ति के नवल हों शिखर।
जीवन   का,  नूतन   प्रभात  हो,
मंगलमय  हो,   नव - संवत्सर।।    

                                                            -अरुण मिश्र    

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

शब-ए-ग़म मुझ से मिल कर ऐसे रोई.../ शायर : सईद गिलानी / गायन : नाहीद अख़्तर

https://youtu.be/bC53baHi8mM   


शब-ए-ग़म मुझ से मिल कर ऐसे रोई 
मिला हो जैसे सदियों बाद कोई 

हमें अपनी समझ आती नहीं खुद 
हमें क्या ख़ाक समझायेगा कोई 

क़रीब मंज़िल के आ के दम है टूटा 
कहाँ आ कर मेरी तक़दीर सोई 

कुछ ऐसे आज उन की याद आई 
मिली हो जैसे दौलत एक खोई 

सजा रक्खा क़फ़स है खून-ओ-पर से 
के अब तो बिजलियाँ ले आये कोई

Lyricist MAHSOOR.

The poetry of the ghazal portrays the agony of a woman who is living alone after being abandoned by her love.


Shab e gham mujh se mil kar aise roii
(The night-of-grief hugged me crying ...

Mila ho jaisey sadiyyun baad koi
As if someone has met me after centuries!)

Hamain apni samaj aati nahein khud
(I cannot even comprehend myself...

Hamain kiya khak samjhaye ga koi
How anyone can make me understand?)

Qareeb manzil ke aa ke dam hai toota
(I lost my breath as I got close to my destination,...

Kahan aa kar meri taqdeer soii
Alas! At what point my destiny has dozed off!)

Kuchh aisey aaj unki yaad aaii
(Tonight His memoirs flashed in my mind..

Mili ho jaisey doulat ek khoi
As if I have got the lost treasure!)

Sajja rakha hai qafas khoon-o-par se
(I have decorated the cage (house) with my blood and feathers..

Keh ab to bijilian ley aiey koi
Let someone fetch the lightning and destroy it..

गुरुवार, 27 मार्च 2025

निरर्थकं जन्मगता नलिन्या.../ बिल्हण / प्रस्तुति : नवनीत गलगली

 https://youtu.be/rpYxWvk4oJ4  


निरर्थकं जन्मगता नलिन्या 
यया न दृष्टं तुहिनांशुविम्बं।
उत्पत्तिरिन्दोरपि निष्फलैव 
कृता विनिद्रा नलिनी न येन।।

बुधवार, 26 मार्च 2025

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो.../ गीतकार : शम्स लखनवी एवं बेहज़ाद लखनवी / गायन : पद्‍मश्री पुष्पा हंस

https://youtu.be/Vuy4ShsxDNk  

गीतकार : शम्स लखनवी एवं बेहज़ाद लखनवी
संगीतकार: वसंत देसाई
फिल्म: शीशमहल 1950

इस गीत को पद्‍मश्री पुष्पा हंस ने गाया है 
और फिल्म में अभिनय भी किया है।

आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो-2
कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो-2
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये हमेशा से है तक़दीर की गर्दिश का चालन-2
चाँद सूरज को भी लग जाता है एक बार ग्रहण 
वक़्त की देख के तब्दीलियां हैरान ना हो- 2 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

ये है दुनियां यहाँ दिन ढलता है शाम आती है- 2 
सुबह हर रोज नया ले के पयाम आती है 
जानी बूझी हुई बातों से तू अन्ज़ान ना हो 
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो 

कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान ना हो
आदमी वो है मुसीबत से परेशान ना हो

मंगलवार, 25 मार्च 2025

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है.../ मिर्ज़ा ग़ालिब / गायन : आबिदा परवीन

https://youtu.be/Pz1j01JkM8c  

फिर कुछ इक दिल को बे-क़रारी है
सीना जूया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है


फिर जिगर खोदने लगा नाख़ुन
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लाला-कारी है

क़िब्ला-ए-मक़्सद-ए-निगाह-ए-नियाज़
फिर वही पर्दा-ए-अमारी है

चश्म दल्लाल-ए-जिंस-ए-रुस्वाई
दिल ख़रीदार-ए-ज़ौक़-ए-ख़्वारी है

वही सद-रंग नाला-फ़रसाई
वही सद-गोना अश्क-बारी है

दिल हवा-ए-ख़िराम-ए-नाज़ से फिर
महशरिस्तान-ए-सितान-ए-बेक़रारी है

जल्वा फिर अर्ज़-ए-नाज़ करता है
रोज़ बाज़ार-ए-जाँ-सिपारी है

फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िंदगी हमारी है

फिर खुला है दर-ए-अदालत-ए-नाज़
गर्म-बाज़ार-ए-फ़ौजदारी है

हो रहा है जहान में अंधेर
ज़ुल्फ़ की फिर सिरिश्ता-दारी है

फिर दिया पारा-ए-जिगर ने सवाल
एक फ़रियाद ओ आह-ओ-ज़ारी है

फिर हुए हैं गवाह-ए-इश्क़ तलब
अश्क-बारी का हुक्म-जारी है

दिल ओ मिज़्गाँ का जो मुक़द्दमा था
आज फिर उस की रू-बकारी है

बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है

बुधवार, 19 मार्च 2025

हटो काहे को झूठी बनाओ बतिया.../ फिल्म : मंज़िल (1960) / मजरुह सुल्तानपुरी / मन्ना डे

https://youtu.be/DoNOYo7fupU  


हटो काहे को झूटीइ बनाओ बतियाँ
ग़ैर का साथ है और रोज़ मुलाक़ातें हैं
प्यार है उस के लिये और हम से फ़क़त बातें हैं
जाओ जाओ जाओ झूठी बात न बनाओ
जल रही विरह में सैंया और न जलाओ

हटो काहे को झूटी ...

ये उड़ी उड़ी सी रंगत
ये खुले खुले से गेसु
तेरी सुबह कह रही है
तेरी रात का फ़साना

देखो जी किसी का प्यार हम से न छुपाओ
सब हमें पता है प्यारे नैन न झुकाओ

सुनो कहती है क्या क्या तुम्हरी अखियाँ
हटो काहे को झूटी ...

मंगलवार, 18 मार्च 2025

चंचल चपल चतुर चंद्रावली चाले, चटक मटककी चाल.../ पुष्टिमार्गीय रसिया

https://youtu.be/NwabFS39tgM   

चंचल चपल चतुर चंद्रावली चाले,
चटक मटककी चाल।
चटक मटककी चाल चाले,  चटक मटककी चाल ||ध्रु||

चंद्रावली दधि बेचन चालीजी,
घेरी गैल छैल बन मालीजी।
दान दधि जोबन देऊ चुकाय,
दहेड़ीको नेक दही दै खवाय,
कहे यो चंद्रावली मुस्काय,

दोहा- जो कान्हा पल्ले परो, लाओ पतौआ तोर।
छोड़ मनसुखा को गए, मोहन माखन चोर।

चंद्रावली गई सटक, मारा मनसुखके गुलचा लाल-(२)

... चंचल ||१||


पत्ता तोड़ श्याम जब आए जी,
मनसुखलाल रोवते पाएजी।
ना देखी चंद्रावली बृजनार,
करन लागे मनमें सोच विचार,
खीरकमे जाय सोये मन मार,

दोहा ढूंढते ढूंढते डोलती, घर-घर जसुमति माय।
मेरो कान्हा कीत गयो, कोई देहो बताय।

कहे मनसुखलाल खिरक में, सोय रहे नंदलाल-(२)

... चंचल ||२||

हैरत मात श्याम नाये बोलेजी,
क्यों लाला तू पर्यों रे खटोलेजी
कि तोकू कौने दीनी गार,
कि तोको आवत ताव बुखार,
बताई दे मेरे प्राण आधार,

दोहा ना काहू गारी देई, ताव न आवत मोय।
छल कर गई चंद्रावली, कहा बताउं तोय।

आपके लालके चार ब्याह करूं, घर चल मदन गोपाल-(२)

... चंचल ||३||

समद बहाऊ मैया चार बहुरीया जी,
मेरे मन बसी चंद्रावली गुजरीया जी।
कहे मैया मो डिंग आऊ,
तोए छल गई तोय वाय छलवाऊ,
चल्यो तू री ढोरे कू जाऊ,

दोहा इतनी सुनके श्यामने, सखी भेष लियो धार।
लहंगा फरीया पहर के, कर सोलह श्रृंगार।

चलत कमर वलखाएं बन गई, नव नवरंगी बाल-(२)

... चंचल ||४||

तुरंत श्याम बन गए हैं जनानीजी,
यशोदाने प्रभु नाय पहचानेजी।
उलाहना देने लगे घनश्याम,
सांवरी सखी बतायो नाम,
तिहारो छोड़ जाऊंगी गाम,

दोहा यशोदाने पहचानके, लिए कंठ लगाय।
मैया की आज्ञा भईके, रिठोरा गए आय। 
चंद्रावलीको कुछ रहे घर, सखी बने नंदलाल-(२)

... चंचल ||५||

चंद्रावलीके घरकी यहीतो डगरिया जी,
ऊंचीसी अटरीयामें लाल किवरया जी।
पहुंच गए चंद्रावलीके द्वार,
खोल बहना नेक जंग किवार,
द्वार पर कबकी रही है पुकार,

दोहा- चंद्रावली कहने लगी, सुनो सखी सुकुमार।
*कहांसे आई नाम गांम, तो मुखते उच्चार।*उसके
कहां लगे नाते में अली, कह दे सोच हवाल-(२)

... चंचल ||६||

चंद्रावली सुन सांचे बे नारी,
पीहर ते आई लागू तोरी बहनारी
कहे यो चंद्रावली समझाय,
खिलाइ गोदन जन्मी माय,
कहां ते बहन गई तू आय,

दोहा- चंद्रावली ते सामरी, सखी लगी यों कहन।
मामा फूफी की दोऊ, हम तुम लगे बहन।

ब्याह तेरे ते मोय सासरे, भेज दही तत्काल-(२)

... चंचल ||७||

मिलत बहन दोऊ भुजा रे पसारी जी, 
चंद्रावलीने गिरा रे ऊझारी जी 
कहत मे लगे लाज बानी,
लगे तेरी छाती मरदानी,
सामरी सखी कहे सयानी,


दोहा - बहेना तेरो निशा दिना, करत रहत ही सोच।
सोच करत में है गई, मेरी छाती पोच।
तेरे देखे बिना बहन में, पाये दुख कराल-(२)

... चंचल ||८||

चलरी बहन दोऊ पानी भर लावेजी,
मिलजुलके कुआंपें आवेजी।
अचंबो भयो सखी मोहे आज,
कहत मे आवे मोकु लाज,
चले तु चाल मर्दयी भाज,

दोहा - बालापनमें बा करुवा, घेर चराई गाय।
वह लकब मोय लग रही, सुन बैना चिल्लाय!
चाल मेरी मरदानी पर तू, मति करे रे प्यार- 

...चंचल ||९||

चलरी बहन तोए ऊबट न्हवाऊजी,
तेल सुगंधित अत्तर मिलाऊजी।
सामरी सखी जोर कहे हात,
मेरे घर शेर शीतला मात,
सुनी बढ़िया पुराण में बात,

दोहा तो बहना न्हाओ मती, भोजन करो अघाय।
सखी सामरी प्रेम ते, बड़े-बड़े ग्रासन खाय।
खीर खाड पकवान मिठाई, छके अनेकन माल-(२)

... चंचल ||१०||

कहत सुनत मोहे शरम लगत है री,
मरदाने तू कोर भरत है री।
सामरी सखी करें अरदास,
मेरे घर में लड़हारी सास,
देर जो करूं देय दुख त्रास,  

दोहा- भोजन कर बीडी रही, फिर है आई रैन।
पचरंग पलंग बिछायके, करो सेज सुख चैन।
चराण पलोटतमें पिंडारीनमें, लगे खुरदरी खाल-(२)

... चंचल ||११||

तेरे बिरजमें लोग ठगोरारी,
कहां बूढ़ों कहा जवान छिछोरारी।  
बताई दई मोकु ऊबट बाट,
जहां कांटे करीन के घाट,
छिल्ली पिंडरी लहंगा गयो फाट,

दोहा- सोलह श्रृंगार उतार के, पितांबर लियो धार!
चंद्रावली चकित भई, करन लगी बलिहार।
मैंतो तोहे लाल जबभी जान गई, पर्यो न खाई जाए-(२)

... चंचल ||१२||

कौन तेरी बहना ने कौन तेरा बीरा री,
तू गुजर हम जात अहीरा री।
तनिक दधि कुछल आई मोये,
छल्ली वा कारण मैंने तोये,
परस्पर बदलो जग में होये,

दोहा - चंद्रावली लीला करी, प्रेम भरी घनश्याम। 
गोवर्धन दस बीस में, छितर घासीराम।
छीतर "घासीराम" युगल छवि, निरखत भये निहाल-(२)

... चंचल ||१३||

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

गोपी गोपाल लाल रासमंडल माहीं.../ सूरदास कृति / गायन : पूर्वा धनश्री एवं पावनी कोटाह / प्रस्तुति : कुलदीप एम. पई

https://youtu.be/h-_GZHwK108   

गोपी गोपाल लाल
रासमंडल माहीं ।
तात्ताथेई ता सुधंग
निरत गहि बाहीं ।।

द्रुम द्रुम द्रुम द्रुम मृदंग
छन नन नन रूप रंग
दृगतादृग तालतंग
उघटत रसनाई ।।

बीच लाल बीच बाल
प्रति प्रति अति द्युति रसाल
अविगत गति अति उदार
निरखि दृग सराहीं ।।

श्रीराधामुख शरत चंद
पोंछत जल श्रम अनंद
श्रीव्रजचंद लटक लटकत
करत मुकुट छाहीं ।।

चकित थकित यमुना नीर
खग मृग जग मग शरीर
धन नंदके कुमार बलि-बलि जाय
सूरदास रास सुख तिहारहीं ।।

गुरुवार, 13 मार्च 2025

रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई.../ रचना : भक्त कवि नरसिंह मेहता / गायन : आदित्य गढ़वी

https://youtu.be/iraezTzB938  

नागर नंदजी ना लाल
नागर नंदजी ना लाल
रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई

कान्हा जड़ी होए तो आल,
कान्हा जड़ी होए तो आल
रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई ...

वृन्दावन नी कुञ्ज गलीं मां
बोले झिना मोर
राधाजी नी नथनी नो
शामलियो छे चोर ....
नागर नंदजी ना लाल
नागर नंदजी ना लाल
रास रमंता म्हारी नथनी खोवाई.....



मंगलवार, 11 मार्च 2025

रंग डारो न हम पे बार-बार.../ उत्तराखण्ड की होली / प्रस्तुति : गीता पन्त

https://youtu.be/Z_TBR_dNjO0  

रंग डारो न हम पे बार-बार 
मोरी चूनर कीन्हीं तार-तार 


एक हमारी जनक-दुलारी 
तुम हो लालन चार-चार 


भीग गई मैं अब न भिगाओ 
भर पिचकारी मार-मार 


लाख कही पर एक न मानी
विनती करत मैं गई रे हार

शनिवार, 8 मार्च 2025

सीपिया बरन मंगलमय तन.../ कवि स्वर्गीय भारत भूषण

https://youtu.be/V_0ZZzgfGVI  

सीपिया बरन मंगलमय तन
जीवन दर्शन बांचते नयन,
संस्कृत सूत्रों जैसी अलकें
है भाल चन्द्रमा का बचपन।।


हल्के जमुनाए होठों पर
दीये की लौ-सी मुसकानें
धूपिया कपोलों पर रोली से
शुभम् लिख दिया चंदरमा ने।
सम्मुख हो तो आरती सजी
सुधि में हो तो चंदन-चंदन।।


वरदानों से उजले-उजले 
कर्पूरी बाहों के घेरे
ईंगुरी हथेली में जैसे
अंकित हों भाग्य-लेख मेरे
पल भर तो बैठो बिखरा दूँ 
पूजा में अंजुरी भरे सुमन ।।


साड़ी की सिकुड़न-सिकुड़न में
किसने रच दी गंगा-लहरी
चितवन-चितवन ने पूरी है
रंगोली सी गहरी-गहरी
अवतरित हो रहे नख-शिख में
सारे पावन सारे शोभन ।।

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए.../ शायर : इक़बाल अज़ीम / गायन : सलमान अल्वी

https://youtu.be/8TOaAF2yVTc  


ज़ब्त भी चाहिए ज़र्फ़ भी चाहिए और मोहतात पास-ए-वफ़ा चाहिए
ज़िंदगी दुश्मनों में भी मुश्किल नहीं आदमी में ज़रा हौसला चाहिए


हम को मंज़िल-शनासी पे भी नाज़ है और हम आश्ना-ए-हवादिस भी हैं
जू-ए-ख़ूँ से गुज़रना पड़े भी तो क्या जुस्तुजू को तो इक रास्ता चाहिए


अपने माथे पे बल डाल कर हमें शीश-महलों के अंदर से झिड़की न दो
हम भिकारी नहीं हैं कि टल जाएँगे हम को अपनी वफ़ा का सिला चाहिए


तुम ने आराइश-ए-गुलसिताँ के लिए हम से कुछ ख़ून माँगा था मुद्दत हुई
तुम से ख़ैरात तो हम नहीं माँगते हम को इस ख़ून का ख़ूँ-बहा चाहिए


हम को हर मोड़ पर दोस्त मिलते रहे हम कभी राह-ए-मंज़िल में तन्हा न थे
कल ग़म-ए-दोस्त था अब ग़म-ए-ज़ीस्त है आश्ना को तो इक आश्ना चाहिए


मेरी मानो तो इक बात तुम से कहूँ ये नया दौर है इस का क्या ठीक है
दोस्तों से मिलो महफ़िलों में मगर आस्तीनों का भी जाएज़ा चाहिए


हद से बढ़ कर मोहब्बत मुनासिब नहीं इस में अंदेशा-ए-बद-गुमानी भी है
दुश्मनों से त'अल्लुक़ तो है ही ग़लत दोस्तों में भी कुछ फ़ासला चाहिए


जुर्म-ए-बे-बाक-गोई की पादाश में ज़हर 'इक़बाल' को तल्ख़ियों का मिला
उस ने इस ज़हर को ही सुख़न कर लिया इस ज़माने में अब और क्या चाहिए


मंगलवार, 4 मार्च 2025

ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर.../ शायर : अख़्तर शीरानी / गायन : नय्यरा नूर

https://youtu.be/5zKTMf96iIs  

ऐ इश्क़ न छेड़ आ आ के हमें हम भूले हुओं को याद न कर
पहले ही बहुत नाशाद हैं हम तू और हमें नाशाद न कर
क़िस्मत का सितम ही कम नहीं कुछ ये ताज़ा सितम ईजाद न कर
यूँ ज़ुल्म न कर बे-दाद न कर
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

हम रातों को उठ कर रोते हैं रो रो के दुआएँ करते हैं
आँखों में तसव्वुर दिल में ख़लिश सर धुनते हैं आहें भरते हैं
ऐ इश्क़ ये कैसा रोग लगा जीते हैं न ज़ालिम मरते हैं
ये ज़ुल्म तू ऐ जल्लाद न कर
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

जिस दिन से बँधा है ध्यान तिरा घबराए हुए से रहते हैं
हर वक़्त तसव्वुर कर कर के शरमाए हुए से रहते हैं
कुम्हलाए हुए फूलों की तरह कुम्हलाए हुए से रहते हैं
पामाल न कर बर्बाद न कर
ऐ इश्क़ हमें बर्बाद न कर

सोमवार, 3 मार्च 2025

तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही.../ शायरा : बेग़म मुमताज़ मिर्ज़ा / गायन : चित्रा सिंह

https://youtu.be/-lJZL5r2L2g   


तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही,
सारी दुनिया से छुपा लेंगे तुम आओ तो सही


एक वादा करो अब हम से न बिछडोगे कभी,
नाज़ हम सारे उठा लेंगे तुम आओ तो सही


बेवफ़ा भी हो, सितमगर भी, जफ़ा पेशा भी,
हम ख़ुदा तुम को बना लेंगे तुम आओ तो सही


(सितमगर = ज़ालिम, अत्याचारी), (जफ़ा पेशा = ज़ुल्म/ अत्याचार का काम)


राह तारीक़ है और दूर है मंज़िल लेकिन,
दर्द की शम्में जला लेंगे तुम आओ तो सही


(तारीक़ = अन्धकार पूर्ण, अँधेरी, स्याह)

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

आशियाँ जल गया, गुल्सिताँ लुट गया.../ शायर : राज़ इलाहाबादी / गायन : हबीब वली मोहम्मद

https://youtu.be/soIbXlttNn8  

आशियाँ जल गया, गुल्सिताँ लुट गया, हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे
इतने मानूस सय्याद से हो गए, अब रिहाई मिलेगी तो मर जाएँगे


और कुछ दिन ये दस्तूर-ए-मय-ख़ाना है, तिश्ना-कामी के ये दिन गुज़र जाएँगे
मेरे साक़ी को नज़रें उठाने तो दो, जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएँगे


ऐ नसीम-ए-सहर तुझ को उन की क़सम, उन से जा कर न कहना मिरा हाल-ए-ग़म
अपने मिटने का ग़म तो नहीं है मगर, डर ये है उन के गेसू बिखर जाएँगे


अश्क-ए-ग़म ले के आख़िर किधर जाएँ हम, आँसुओं की यहाँ कोई क़ीमत नहीं
आप ही अपना दामन बढ़ा दीजिए, वर्ना मोती ज़मीं पर बिखर जाएँगे


काले काले वो गेसू शिकन-दर-शिकन, वो तबस्सुम का आलम चमन-दर-चमन
खींच ली उन की तस्वीर दिल ने मिरे, अब वो दामन बचा
कर किधर जाएँगे

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

शिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रं.../ आदि शंकराचार्य कृत / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/1GD9Mpvlw8Y  


श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय
धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय |
नामशेषितानमद्भवान्धवे नमः शिवाय
पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय || १ ||

कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय
शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय |
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय
पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय || २ ||

इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय
दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय |
सृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय
अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय || ३ ||

आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय
पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय |
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय
शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय || ४ ||

व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय
हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय |
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय
कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय || ५ ||

ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय
जिह्मगेन्द्रकुण्डलप्रसिद्ध ते नमः शिवाय |
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय
जिंहकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय || ६ ||

कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय
सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय |
हेमकान्तिचाकचक्यवर्मणे नमः शिवाय
सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय || ७ ||

जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय
चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय |
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय
सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय || ८ ||

यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय
दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय |
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय
अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय || ९ ||

दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय
अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय |
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय
उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय || १० ||

राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय
राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय |
राजकोरकावतंस भासिने नमः शिवाय
राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय || ११ ||

दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय
सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय |
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय
दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय || १२ ||

सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय
सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय |
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय
सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय || १३ ||

स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय
माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय |
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय
नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय || १४ ||

सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय
पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय |
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय
शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय || १५ ||

पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय
देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय |
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय
स्वेहितप्रसन्न कामदोह ते नमः शिवाय || १६ ||

मङ्गलप्रदाय गोतुरङ्ग ते नमः शिवाय
गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय |
सङ्गरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय
अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय || १७ ||

ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय
आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय |
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय
गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय || १८ ||

त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय
दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय |
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय
रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय || १९ ||

न्यङ्कुपाणये शिवङ्कराय ते नमः शिवाय
सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय |
कङ्कभीषिताभयङ्कराय ते नमः शिवाय
पङ्कजाननाय शङ्कराय ते नमः शिवाय || २० ||

कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय
शर्मदाय वर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय |
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय
कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय || २१ ||

विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय
शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय |
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय
कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय || २२ ||

अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय
सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय |
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय
विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय || २३ ||

सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय
भावलभ्यतावकप्रसाद ते नमः शिवाय |
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय
तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय || २४ ||

भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय
शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय |
भक्तसङ्कटापहारयोगिने नमः शिवाय
युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय || २५ ।।

अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय
शन्तमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय |
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय
जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय || २६ ||

शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय
पालिने विरिञ्चिमुण्डमालिने नमः शिवाय |
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय
शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय || २७ ||

शिवपञ्चाक्षरमुद्राचतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् |
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः || २८ ||

|| शिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रं सम्पूर्णम् ||

 

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

न मी दानम चे मंज़िल बूद.../ अमीर ख़ुसरो / मुंशी रियाज़ुद्दीन क़व्वाल एवं पार्टी

https://youtu.be/4JjR_q0Lkzw  


न मी दानम चे मंज़िल बूद शब जाहे कि मन बूदम
बहार सू रक़्स-ए-बिस्मिल बूद शब जाहे कि मन बूदम

(I wonder what was the place where I was last night,
All around me were half-slaughtered victims of love,
tossing about in agony)


परी पैक़र निग़ार-ए-सर्व-क़द-ए-लालारुख़ सारे
सरापा आफ़त-ए-दिल बूद शब जाहे कि मन बूदम


(There was a nymph-like beloved with cypress-like form and tulip-like face,
Ruthlessly playing havoc with the hearts of the lovers)

ख़ुदा ख़ुद मीर-ए-मज़लिस बूद अन्दर लामकां ख़ुसरो
मुहम्मद शम्म-ए-महफ़िल बूद शब जाहे कि मन बूदम


(God himself was the master of ceremonies in that heavenly court,
Oh Khusrau, where (the face of) the Prophet too was shedding light like a candle)

बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे.../ गायन : मुहम्मद नवाज़ / सूफ़ी अताउल्लाह सत्तारी

https://youtu.be/MpQ5r6qqvq0  


किसी दर्दमंद के काम आ किसी डूबते को उछाल दे
ये निगाह-ए-मस्त की मस्तियाँ किसी बद-नसीब पे डाल दे


मुझे मस्जिदों की ख़बर नहीं मुझे मंदिरों का पता नहीं
मिरी 'आजिज़ी को क़ुबूल कर मुझे और दर्द-ओ-मलाल दे

ये मय-कशी का ग़ुरूर है ये मेरे दिल का सुरूर है
मेरे मय-कदा को दवाम हो मेरे साक़ियों को जमाल दे

मैं तिरे विसाल को क्या करूँ मेरी वहशतों की ये मौत है
हो तिरा जुनूँ मुझे पुर-'अता मुझे जन्नतों से निकाल दे

सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

अम्बा स्तवम् / ब्रह्मर्षि सदाशिवन् / प्रस्तुति : कुलदीप पई

https://youtu.be/O_0PVXI4RJ0?si=zHvdORjmbp51Sqg1

वन्देऽहन्तेऽनन्ते सुपदर -
विन्दे विन्दे शन्ते निजसुख -
कन्देऽमन्दे स्पन्दे शुभकरि 
बहुदयहृदययुते ।


मायेऽमेये लीये पुरहर -
जायेऽजेये ज्ञेये ननु भव -
दीये ध्येयेऽभ्येये निरुपम -
पदि हृदि मृदितमृते ॥


रुन्धे हतनतबन्धे मम हृदयन्ते स्मितजितकुन्दे
अमलतररूपेऽपापे दीपे भवकूपे पतितं व्यथितं 
देवि समुद्धर करुणाजलराशे सुरुचिरवेषे ।


धीरे वीरे शूरे सदमृत -
धारे तारेऽसारे बत भव -
कारागारे घोरे निपतित -
मव शिशुमतुलबले ।


अम्बालम्बे लम्बोदरपरि -
पाले बाले काले खलुजग -
दीशे धीशेऽनीशे हृदि शिव -
मनुमनुदिनममले ॥ 


शिष्टहितैषिणि दुष्टविनाशिनि 
कष्टविभेदिनि दृष्टिविनोदिनि 
सङ्कटकण्टकभिन्दनकुशलकले सकले सबले 
श्रद्धाबद्धे न्यस्ताभयहस्ते सुरगणविनुते


श्रेष्ठे प्रेष्ठे ज्येष्ठे हिमगिरि -
पुष्टे जुष्टे तिष्ठे: शिवपरि -
निष्ठे स्पष्टे हृष्टे मम हृदि 
मुनिजननुतिमुदिते ।


आद्ये वेद्ये वैद्ये त्रिजगति 
रामे वामे श्यामे कुरु करु -
णान्ते दान्ते शान्ते भयहर - 
भगवति सति शिवदे ॥

रविवार, 16 फ़रवरी 2025

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं.../ जिगर मुरादाबादी / गायन : किरन शुक्ला

 https://youtu.be/B9MHtlKTvBw  

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

दुनिया-ए-दिल तबाह किए जा रहा हूँ मैं
सर्फ़-ए-निगाह-ओ-आह किए जा रहा हूँ मैं

फ़र्द-ए-अमल सियाह किए जा रहा हूँ मैं
रहमत को बे-पनाह किए जा रहा हूँ मैं

ऐसी भी इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं
ज़र्रों को मेहर-ओ-माह किए जा रहा हूँ मैं

मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़्मत को चार चाँद
ख़ुद हुस्न को गवाह किए जा रहा हूँ मैं

दफ़्तर है एक मानी-ए-बे-लफ़्ज़-ओ-सौत का
सादा सी जो निगाह किए जा रहा हूँ मैं

आगे क़दम बढ़ाएँ जिन्हें सूझता नहीं
रौशन चराग़-ए-राह किए जा रहा हूँ मैं

मासूमी-ए-जमाल को भी जिन पे रश्क है
ऐसे भी कुछ गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

तन्क़ीद-ए-हुस्न मस्लहत-ए-ख़ास-ए-इश्क़ है
ये जुर्म गाह गाह किए जा रहा हूँ मैं

उठती नहीं है आँख मगर उस के रू-ब-रू
नादीदा इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं

गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं

मुझ से अदा हुआ है 'जिगर' जुस्तुजू का हक़
हर ज़र्रे को गवाह किए जा रहा हूँ मैं

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई.../ शायर : क़मर जलालवी / गायन : हदीका कियानी

https://youtu.be/x-fsPm9e2eg  


उन की तरफ़ से तर्क-ए-मुलाक़ात हो गई
हम जिस से डर रहे थे वही बात हो गई

आईना देखने में नई बात हो गई
उन से ही आज उन की मुलाक़ात हो गई

तय उन से रोज़-ए-हश्र मुलाक़ात हो गई
इतनी सी बात कितनी बड़ी बात हो गई

कम-ज़र्फ़ी-ए-हयात से तंग आ गया था मैं
अच्छा हुआ क़ज़ा से मुलाक़ात हो गई

दिन में भटक रहे हैं जो मंज़िल की राह से
ये लोग क्या करेंगे अगर रात हो गई

आए हैं वो मरीज़-ए-मोहब्बत को देख कर
आँसू बता रहे हैं कोई बात हो गई

था और कौन पूछने वाला मरीज़ का
तुम आ गए तो पुर्सिश-ए-हालात हो गई

ऐ बुलबुल-ए-बहार-ए-चमन अपनी ख़ैर माँग
सय्याद-ओ-बाग़बाँ में मुलाक़ात हो गई

जब ज़ुल्फ़ याद आ गई यूँ अश्क बह गए
जैसे अँधेरी रात में बरसात हो गई

गुलशन का होश अहल-ए-जुनूँ को भला कहाँ
सहरा में पड़ रहे तो बसर रात हो गई

दर-पर्दा बज़्म-ए-ग़ैर में दोनों की गुफ़्तुगू
उट्ठी उधर निगाह इधर बात हो गई

कब तक 'क़मर' हो शाम के वा'दे का इंतिज़ार
सूरज छुपा चराग़ जले रात हो गई

मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025

ऐसी मांग गोविंद ते.../ गुरुबानी / गायन : बीर सिंह

https://youtu.be/KFuMLI0UQVc  

ऐसी मांग गोविंद ते।।

Beg for such blessings from the Lord of the Universe:

टहल सन्तन की संग साधू का
हर नामा जप परम गते।।

To serve the Saints and be in the company of the Saadh Sangat and the holy. Chanting the Name of the Lord, the supreme status is obtained. ।।1।।

पूजा चरना ठाकुर शरना।।

Worship the Feet of Your Lord and Master, and seek His Sanctuary.

सोई कुसल जे प्रभ जि ओ करना।।१॥

Take joy in whatever God does. ।।1।।

सफल होत यह दुर्लभ देही।।

This precious human body becomes fruitful,

जा को सतगुरु मया करेही।।२॥

When the True Guru shows His Kindness.।।2।।

अज्ञान भरम बिनसै दुख डेरा।।

The house of ignorance, doubt and pain is destroyed,

जा के हिरदय बसिहे गुरु पैरा।।३॥

For those within whose hearts the Guru's Feet abide. ।।3।।

साधसंग  रंग प्रभ ध्याया।।

In the Saadh Sangat, lovingly meditate on God.

कहो नानक तिन पूरा पाया।।४॥

Says Nanak, you shall obtain the Perfect Lord. ।।4।।

रविवार, 9 फ़रवरी 2025

ये जो ज़हर है तिरे क़ुर्ब का मिरे रोम रोम उतार दे.../ शायर : ख़ालिद नदीम शानी / गायन : मुहम्मद नवाज़ भुट्टा

https://youtu.be/iIpiJP_LgjE  

ये जो ज़हर है तिरे क़ुर्ब का मिरे रोम रोम उतार दे
मिरी दास्तान हो मो'तबर मुझे अपने इश्क़ में मार दे


कभी अपने जिस्म को मय बना मुझे क़तरा क़तरा पिलाए जा
मिरी आँख रोज़-ए-जज़ा खुले कोई इस तरह का ख़ुमार दे


तिरी निस्बतों से जुड़ा रहूँ तिरे रास्तों में पड़ा रहूँ
कोई ऐसी हसरत-ए-बे-बहा मिरी धड़कनों से गुज़ार दे


मिरे दोस्ता मिरे किब्रिया मिरी लग़्ज़िशों से हो दरगुज़र
मिरी पस्तियों को उरूज दे मिरे उजड़े दिल को सँवार दे


मिरी आरज़ुओं के सीप का किसी आब-ए-नैसाँ से मेल कर
मुझे आश्ना-ए-विसाल कर मिरी बेकली को क़रार दे


यही अपने शौक़ से कह दिया कभी एक पल नहीं सोचना
जहाँ नक़्श-ए-पा मिले यार का ये मता-ए-जाँ वहीं वार दे

रविवार, 26 जनवरी 2025

सूर्यमण्डलस्तोत्रं.../ भविष्योत्तरपुराण / श्रीकृष्णार्जुनसंवाद /

https://youtu.be/32TGOFRIVmE. 

नमोऽस्तु सूर्याय सहस्र रश्मये सहस्र शाखान्वित सम्भवात्मने।
सहस्र योगोद्भव भाव भागिने सहस्रस ङ्ख्या युग धारिणे नमः॥

यन्मण्डलम् दीप्ति करम् विशालम् रत्न प्रभम् तीव्रमनादि रूपम्।
दारिद्र्य दुःख क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१॥

यन्मण्डलम् देवगणैः सुपूजितम् विप्रैः स्तुतम् भावनमुक्तिकोविदम्।
तम् देवदेवम् प्रणमामि सूर्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥२॥

यन्मण्डलम् ज्ञान घनम् त्व गम्यम् त्रैलोक्य पूज्यम् त्रिगुणात्म रूपम्।
समस्त-तेजोमय-दिव्यरूपम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥३॥

यन्मण्डलम् गूढ मति प्रबोधम् धर्मस्य वृद्धिम् कुरुते जनानाम्।
यत्सर्व पाप क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥४॥

यन्मण्डलम् व्याधि विनाश दक्षम् यदृग्यजुःसामसु सम्प्रगीतम्।
प्रकाशितम् येन च भूर्भुवः स्वः पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥५॥

यन्मण्डलम् वेद विदो वदन्ति गायन्ति यच्चारण-सिद्धसङ्घाः।
यद्योगिनो योगजुषाम् च सङ्घाः पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥६॥

यन्मण्डलम् सर्वजनैश्च पूजितम् ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके।
यत्काल काला द्यमनादि रूपम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥७॥

यन्मण्डलम् विष्णु चातु र्मुखाख्यम् यदक्षरम् पापहरम् जनानाम्।
यत्काल कल्प क्षय कारणम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥८॥

यन्मण्डलम् विश्व सृजम् प्रसिद्धमुत्पत्ति-रक्षा-प्रलय-प्रगल्भम्।
यस्मिञ्जगत्संहरतेऽखिलम् च पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥९॥

यन्मण्डलम् सर्वगतस्य विष्णोरात्मा परम् धाम विशुद्धतत्त्वम्।
सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१०॥

यन्मण्डलम् वेद विदो वदन्ति गायन्ति यच्चारण-सिद्धसङ्घाः।
यन्मण्डलम् वेद विदः स्मरन्ति पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥११॥

यन्मण्डलम् वेद विदोप गीतम् यद्योगिनाम् योग पथानुगम्यम्।
तत्सर्व वेद्यम् प्रणमामि सूर्यम् पुनातु माम् तत्सवितुर्वरेण्यम्॥१२॥

सूर्य मण्डल सु स्त्रोत्रम् यः पठेत् सततम् नरः।
सर्व पाप विशुद्धात्मा सूर्यलोके महीयते॥१३॥

॥इति श्री भविष्योत्तरपुराणे 
श्रीकृष्णार्जुनसंवादे सूर्यमण्डलस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

मंगलवार, 21 जनवरी 2025

त्रिवेणी स्तोत्रम्.../ आदि शंकराचार्य विरचित / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/6hqLD8D2r0Q  
मुक्तामयालङ्कृतमुद्रवेणी भक्ताभयत्राणसुबद्धवेणी।
 मत्तालिगुञ्जन्मकरन्दवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥१॥
 
लोकत्रयैश्वर्यनिदानवेणी तापत्रयोच्चाटनबद्धवेणी। 
धर्मा-ऽर्थकामाकलनैकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥२॥

 मुक्ताङ्गनामोहन-सिद्धवेणी भक्तान्तरानन्द-सुबोधवेणी।
 वृत्त्यन्तरोद्वेगविवेकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥३॥

 दुग्धोदधिस्फूर्जसुभद्रवेणी नीलाम्रशोभाललिता च वेणी।
 स्वर्णप्रभाभासुरमध्यवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥४॥

 विश्वेश्वरोत्तुङ्गकपर्दिवेणी विरिञ्चिविष्णुप्रणतैकवेणी।
 त्रयीपुराणा सुरसार्धवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥५॥

 माङ्गल्यसम्पत्तिसमृद्धवेणी मात्रान्तरन्यस्तनिदानवेणी।
 परम्परापातकहारिवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥६॥

 निमज्जदुन्मज्जमनुष्यवेणी त्रयोदयोभाग्यविवेकवेणी।
 विमुक्तजन्माविभवैकवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी॥ ७॥

सौन्दर्यवेणी सुरसार्धवेणी माधुर्यवेणी महनीयवेणी। 
रत्नैकवेणी रमणीयवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी।॥८॥

 सारस्वताकार-विघातवेणी कालिन्दकन्यामयलक्ष्यवेणी।
 भागीरथीरूप-महेशवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी ॥९॥

श्रीमद्भवानीभवनैकवेणी लक्ष्मीसरस्वत्यभिमानवेणी।
 माता त्रिवेणी त्रयीरत्नवेणी श्रीमत्प्रयागे जयति त्रिवेणी।।१०।।

त्रिवेणीदशकं स्तोत्रं प्रातर्नित्यं पठेन्नरः। 
तस्य वेणी प्रसन्ना स्याद् विष्णुलोकं स गच्छति ॥ ११॥

शनिवार, 18 जनवरी 2025

प्रयाग अष्टकम.../ मत्स्य पुराण / स्वर : माधवी मधुकर झा

https://youtu.be/Ly8xB5I2qLs?si=SZij6gzn72pkeUPt

श्रीगणेशाय नमः

मुनय ऊचुः 

सुरमुनिदितिजेन्द्रैः सेव्यते योऽस्ततन्द्रैर्गुरुतदुरितानां का कथा मानवानाम् ।
स भुवि सुकृतकर्तुर्वाञ्छितावाप्तिहेतुर्जयति विजितयागस्तीर्थराजः प्रयागः ॥ १॥

श्रुतिः प्रमाणं स्मृतयः प्रमाणं पुराणमप्यत्र परं प्रमा णम् । 
यत्रास्ति गङ्गा यमुना प्रमाणं स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ २॥

न यत्र योगाचरणप्रतीक्षा न यत्र यज्ञेष्टिविशिष्टदीक्षा । 
न तारकज्ञानगुरोरपेक्षा स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ३॥

चिरं निवासं न समीक्षते यो ह्युदारचित्तः प्रददाति च क्रमात् । 
यः कल्पिताथांर्श्च ददाति पुंसः स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ४॥

यत्राप्लुतानां न यमो नियन्ता यत्रास्थितानां सुगतिप्रदाता । 
यत्राश्रितानाममृतप्रदाता स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ५॥

पुर्यः सप्त प्रसिद्धाः प्रतिवचनकरीस्तीर्थराजस्य नार्यो नैकटयान्मुक्तिदाने प्रभवति सुगुणा काश्यते ब्रह्म यस्याम् । 
सेयं राज्ञी प्रधाना प्रियवचनकरी मुक्तिदानेन युक्ता येन ब्रह्माण्डमध्ये स जयति सुतरां तीर्थराजः प्रयागः ॥ ६॥

तीर्थावली यस्य तु कण्ठभागे दानावली वल्गति पादमूले । 
व्रतावली दक्षिणपादमूले स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ७॥

आज्ञापि यज्ञाः प्रभवोऽपि यज्ञाः सप्तर्षिसिद्धाः सुकृतानभिज्ञाः । 
विज्ञापयन्तः सततं हि काले स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ८॥

सितासिते यत्र तरङ्गचामरे नद्यौ विभाते मुनिभानुकन्यके । 
लीलातपत्रं वट एक साक्षात्स तीर्थराजो जयति प्रयागः ॥ ९॥

तीर्थराजप्रयागस्य माहात्म्यं कथयिष्यति ।
शृण्वतः सततं भक्त्या वाञ्छितं फलमाप्नुयात् ॥ १०॥

जय जय जय गिरिराज किसोरी.../ गोस्वामी तुलसीदास / गायन : विदुषी अश्विनी भिड़े देशपाण्डे

https://youtu.be/fhLnXSSUOp8 

जय जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥

जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥

नहिं तव आदि, मध्य, अवसाना।
अमित प्रभाउ वेदु नहिं जाना।।

भव भव विभव पराभव कारिणि।
विश्व विमोहिनि स्ववश विहारिणि।।

सोमवार, 13 जनवरी 2025

सिव हो उतरब पार कओन बिधि.../ महाकवि विद्यापति / गायन : शारदा सिन्हा

https://youtu.be/DZsMCPX2Z7Q?si=zjWAYbn0TF1VGDwf


सिव हो उतरब पार कओन बिधि।

लोढब कुसुम तोरब बेल पात।
पुजब सदासिब गौरिक सात॥

बसहा चढ़ल सिव फिरहूँ मसान।
भँगिया जरठ दरदो नहिं जान॥

जप-तप नहिं कैलहुँ नित दान।
बित गेला तिन पन करईत आन॥

भन विद्यापति सुन हे महेस।
निरधन जानि के हरहु कलेस॥


हे शिव। मैं भवसागर से किस प्रकार पार उतर सकूँगा। 
मैं पुष्प चुनूँगा, बेल-पत्र और नैवेद्यों के द्वारा सनातन 
शिव की, उनकी अभिन्न शक्तिरूपा पार्वती के साथ 
पूजा करूँगा। हे शिव! आप बैल पर आरूढ़ होकर 
श्मशान भूमि में घूमते फिरते हो; आप भंग के नशे 
में उन्मत्त रहते हैं, इसलिए मुझ आराधक की पीड़ा 
तक से अनवगत हैं। हे प्रभो! मैंने अपने जीवन में 
न तो तुम्हारे नाम का ही स्मरण किया है और न ही 
कठिन तप ही किया है। इसके अतिरिक्त न ही मैंने 
दूसरों की हित-साधना के लिए अपनी किंचित-मात्र 
भी सुख-सुविधा की अर्पणा की है अर्थात् मुझसे 
प्रतिदिन का दान भी देते नहीं बन पड़ा है। मेरे 
जीवन की तीनों अवस्थाएँ-बालापन, यौवन तथा 
वृद्धपन इस जप-तप-दान की पुण्य-त्रयी के बिना 
ही व्यतीत हुआ है। विद्यापति कहते हैं कि हे महेश! 
मेरी प्रार्थना सुनिए। आप मुझे नितांत अकिंचन 
जान कर ही मेरे क्लेशों का हरण कीजिए।

गुरुवार, 2 जनवरी 2025

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए.../ फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ / गायन : बेग़म अख़्तर

https://youtu.be/GUwKTWQOKL0   

आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
इस के बा'द आए जो अज़ाब आए

बाम-ए-मीना से माहताब उतरे
दस्त-ए-साक़ी में आफ़्ताब आए

हर रग-ए-ख़ूँ में फिर चराग़ाँ हो
सामने फिर वो बे-नक़ाब आए

उम्र के हर वरक़ पे दिल की नज़र
तेरी मेहर-ओ-वफ़ा के बाब आए

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए

न गई तेरे ग़म की सरदारी
दिल में यूँ रोज़ इंक़लाब आए

जल उठे बज़्म-ए-ग़ैर के दर-ओ-बाम
जब भी हम ख़ानुमाँ-ख़राब आए

इस तरह अपनी ख़ामुशी गूँजी
गोया हर सम्त से जवाब आए

'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िल
हम जहाँ पहुँचे कामयाब आए