https://youtu.be/DoNOYo7fupU
हटो काहे को झूटीइ बनाओ बतियाँ
ग़ैर का साथ है और रोज़ मुलाक़ातें हैं
प्यार है उस के लिये और हम से फ़क़त बातें हैं
जाओ जाओ जाओ झूठी बात न बनाओ
जल रही विरह में सैंया और न जलाओ
हटो काहे को झूटी ...
ये उड़ी उड़ी सी रंगत
ये खुले खुले से गेसु
तेरी सुबह कह रही है
तेरी रात का फ़साना
देखो जी किसी का प्यार हम से न छुपाओ
सब हमें पता है प्यारे नैन न झुकाओ
सुनो कहती है क्या क्या तुम्हरी अखियाँ
हटो काहे को झूटी ...
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