चंचल चपल चतुर चंद्रावली चाले,
चटक मटककी चाल।
चटक मटककी चाल चाले, चटक मटककी चाल ||ध्रु||
चंद्रावली दधि बेचन चालीजी,
घेरी गैल छैल बन मालीजी।
दान दधि जोबन देऊ चुकाय,
दहेड़ीको नेक दही दै खवाय,
कहे यो चंद्रावली मुस्काय,
दोहा- जो कान्हा पल्ले परो, लाओ पतौआ तोर।
छोड़ मनसुखा को गए, मोहन माखन चोर।
चंद्रावली गई सटक, मारा मनसुखके गुलचा लाल-(२)
... चंचल ||१||
पत्ता तोड़ श्याम जब आए जी,
मनसुखलाल रोवते पाएजी।
ना देखी चंद्रावली बृजनार,
करन लागे मनमें सोच विचार,
खीरकमे जाय सोये मन मार,
दोहा ढूंढते ढूंढते डोलती, घर-घर जसुमति माय।
मेरो कान्हा कीत गयो, कोई देहो बताय।
कहे मनसुखलाल खिरक में, सोय रहे नंदलाल-(२)
... चंचल ||२||
क्यों लाला तू पर्यों रे खटोलेजी
कि तोकू कौने दीनी गार,
कि तोको आवत ताव बुखार,
बताई दे मेरे प्राण आधार,
दोहा ना काहू गारी देई, ताव न आवत मोय।
छल कर गई चंद्रावली, कहा बताउं तोय।
आपके लालके चार ब्याह करूं, घर चल मदन गोपाल-(२)
... चंचल ||३||
समद बहाऊ मैया चार बहुरीया जी,
मेरे मन बसी चंद्रावली गुजरीया जी।
कहे मैया मो डिंग आऊ,
तोए छल गई तोय वाय छलवाऊ,
चल्यो तू री ढोरे कू जाऊ,
दोहा इतनी सुनके श्यामने, सखी भेष लियो धार।
लहंगा फरीया पहर के, कर सोलह श्रृंगार।
चलत कमर वलखाएं बन गई, नव नवरंगी बाल-(२)
... चंचल ||४||
उलाहना देने लगे घनश्याम,
सांवरी सखी बतायो नाम,
तिहारो छोड़ जाऊंगी गाम,
दोहा यशोदाने पहचानके, लिए कंठ लगाय।
मैया की आज्ञा भईके, रिठोरा गए आय।
चंद्रावलीको कुछ रहे घर, सखी बने नंदलाल-(२)
... चंचल ||५||
ऊंचीसी अटरीयामें लाल किवरया जी।
पहुंच गए चंद्रावलीके द्वार,
खोल बहना नेक जंग किवार,
द्वार पर कबकी रही है पुकार,
दोहा- चंद्रावली कहने लगी, सुनो सखी सुकुमार।
*कहांसे आई नाम गांम, तो मुखते उच्चार।*उसके
कहां लगे नाते में अली, कह दे सोच हवाल-(२)
... चंचल ||६||
चंद्रावली सुन सांचे बे नारी,
पीहर ते आई लागू तोरी बहनारी
कहे यो चंद्रावली समझाय,
खिलाइ गोदन जन्मी माय,
कहां ते बहन गई तू आय,
दोहा- चंद्रावली ते सामरी, सखी लगी यों कहन।
मामा फूफी की दोऊ, हम तुम लगे बहन।
ब्याह तेरे ते मोय सासरे, भेज दही तत्काल-(२)
... चंचल ||७||
चंद्रावलीने गिरा रे ऊझारी जी
कहत मे लगे लाज बानी,
लगे तेरी छाती मरदानी,
सामरी सखी कहे सयानी,
दोहा - बहेना तेरो निशा दिना, करत रहत ही सोच।
सोच करत में है गई, मेरी छाती पोच।
तेरे देखे बिना बहन में, पाये दुख कराल-(२)
... चंचल ||८||
चलरी बहन दोऊ पानी भर लावेजी,
मिलजुलके कुआंपें आवेजी।
अचंबो भयो सखी मोहे आज,
कहत मे आवे मोकु लाज,
चले तु चाल मर्दयी भाज,
दोहा - बालापनमें बा करुवा, घेर चराई गाय।
वह लकब मोय लग रही, सुन बैना चिल्लाय!
चाल मेरी मरदानी पर तू, मति करे रे प्यार-
...चंचल ||९||
चलरी बहन तोए ऊबट न्हवाऊजी,
तेल सुगंधित अत्तर मिलाऊजी।
सामरी सखी जोर कहे हात,
मेरे घर शेर शीतला मात,
सुनी बढ़िया पुराण में बात,
दोहा तो बहना न्हाओ मती, भोजन करो अघाय।
सखी सामरी प्रेम ते, बड़े-बड़े ग्रासन खाय।
खीर खाड पकवान मिठाई, छके अनेकन माल-(२)
... चंचल ||१०||
मरदाने तू कोर भरत है री।
सामरी सखी करें अरदास,
मेरे घर में लड़हारी सास,
देर जो करूं देय दुख त्रास,
दोहा- भोजन कर बीडी रही, फिर है आई रैन।
पचरंग पलंग बिछायके, करो सेज सुख चैन।
चराण पलोटतमें पिंडारीनमें, लगे खुरदरी खाल-(२)
... चंचल ||११||
तेरे बिरजमें लोग ठगोरारी,
कहां बूढ़ों कहा जवान छिछोरारी।
बताई दई मोकु ऊबट बाट,
जहां कांटे करीन के घाट,
छिल्ली पिंडरी लहंगा गयो फाट,
दोहा- सोलह श्रृंगार उतार के, पितांबर लियो धार!
चंद्रावली चकित भई, करन लगी बलिहार।
मैंतो तोहे लाल जबभी जान गई, पर्यो न खाई जाए-(२)
... चंचल ||१२||
तू गुजर हम जात अहीरा री।
तनिक दधि कुछल आई मोये,
छल्ली वा कारण मैंने तोये,
परस्पर बदलो जग में होये,
दोहा - चंद्रावली लीला करी, प्रेम भरी घनश्याम।
गोवर्धन दस बीस में, छितर घासीराम।
छीतर "घासीराम" युगल छवि, निरखत भये निहाल-(२)
... चंचल ||१३||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें