मंगलवार, 25 जनवरी 2022

नन्दलाल निहार लिये जबते...


नन्दलाल निहार लिये जबते,

     निज देह न गेह सभांरन दे..!

धरि धीरज बोल उठी बरुनी,

     पद नीरज की रज झारन दे॥


पुतली कहे सामने से हट जा,

     अँसुआ कहे पांय पखारन दे।

पलकें कहें झांप ले मोहन को,

     अँखियां कहें और निहारन दे।।

बरुनी - बरौनी 


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