रविवार, 14 अगस्त 2022

झूलत हैं नंदलाल.../ रचना : सूरदास / पुष्टिमार्ग कीर्तन

 https://youtu.be/gvCT1eNwlQI 

हिंडोरे माई झूलत हैं नंदलाल...
राग मल्हार

हिंडोरे माई झूलत हैं नंदलाल।। गावत सरस सकल ब्रजवनिता, बाढ्यो है रंग रसाल।।१।। संग झूलत बृषभाननंदिनी, उर गज मोतिन माल।। कंचन वेली यों राजत है, अरुझि श्याम तमाल।।२।। बाजत ताल पखावज मुरली पग नूपुर झनकार।। सूरदास प्रभु की छबि ऊपर तन मन डारों वार ।।३।।

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