मंगलवार, 9 अगस्त 2022

राधा-कृष्णा प्राण मोरा जुगलकिशोर.../ बांग्ला कीर्तन / रचना : नरोत्तम दास ठाकुर / स्वर : अनुराधा राधा माधव

 https://youtu.be/THDnuRZpssw  

राधा-कृष्णा प्राण मोरा जुगलकिशोर...

रचना : नरोत्तम दास ठाकुर

बांग्ला कीर्तन

स्वर : अनुराधा राधा माधव (रूसी कृष्ण भक्त)


राधा-कृष्णा प्राण मोरा जुगलकिशोर

जीवने मरणे गति आरो नही मोरा (१)


कालीन्दीर कूले केलि कदम्बेर वना

रत्न-बेदीर उपर बोसबो दु-जना (२)

 

श्यामा-गौरी-अंगे दिबो चन्दनेर गन्ध

चामर ढुलाबो कबे हेरि मुख-चन्द्र (३)

 

गाठिया मलातीर माला दीबो दोहार गले

अधरे तुलिया दीबो कर्पूर-तम्बूले (४)

 

ललिता-विशाखा-आदि जता सखी-वृन्द

आज्ञाय कोरिबो सेवा चरणारविन्द (५)

 

श्री-कृष्ण-चैतन्य-प्रभुर दासेर अनुदास 

सेवा अभिलाषा कोरे  नरोत्तम-दास (६)

 

भावार्थ 

युगल (दोनों) किशोर, राधा और कृष्ण मेरे प्राण हैं। जीवन और मरण 

में भी उनके सिवाय मेरी और कोई गति (शरण) नहीं है।  (१)

यमुना के तीर कदम्ब-वन में, उन दोनों को मैं रत्नों की बेदी पर 

बिठाऊँगी। (२) 

मैं उनके श्यामल और गौर अंगों पर चन्दन का सुगन्धित लेप लगाऊँगी 

और चवँर ढुलाऊँगी। ओह ! कब मैं उनके मुख-चन्द्र निरखूँगी ?  (३)

मालती पुष्पों की माला गूँथ कर मैं उनके गले में डालूँगी। और उनके 

मुखारविंद में कर्पूर सुवासित ताम्बूल (पान) समर्पित करूँगी।  (४)

ललिता, विशाखा आदि समस्त सखियों की अनुमति से उन दोनों के 

चरण-कमलों की सेवा करूँगी। (५) 

श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के दास का भी दास, नरोत्तम दास को उनके 

चरणों की सेवा की अभिलाषा है।  (६)

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