गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते.../ शायर : अमजद इस्लाम अमजद / गायन : गुलाम अली

 https://youtu.be/A3aTNYAKkjM 

बड़े वसूक़ से
दुनिया फरेब देती है
बड़े ख़ुलूस से हम
ऐतबार करते हैं

जब तक बिक़े न थे तो कोई पूछता न था तूने ख़रीद कर मुझे अनमोल कर दिया -मोहसिन नक़वी

कहाँ आ के रुकने थे रास्ते...
शायर : अमजद इस्लाम अमजद
गायन : गुलाम अली

कहाँ के रुकने थे रास्ते कहाँ मोड़ था उसे भूल जा
वो जो मिल गया उसे याद रख जो नहीं मिला उसे भूल जा

वो तिरे नसीब की बारिशें किसी और छत पे बरस गईं
दिल-ए-बे-ख़बर मिरी बात सुन उसे भूल जा उसे भूल जा

मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में तिरी आस तेरे गुमान में
हवा कह गई मिरे कान में मिरे साथ उसे भूल जा

तुझे चाँद बन के मिला था जो तिरे साहिलों पे खिला था जो
वो था एक दरिया विसाल का सो उतर गया उसे भूल जा

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