शनिवार, 31 दिसंबर 2022

मृगनयनी को यार नवल रसिया... / पण्डित जसराज

 https://youtu.be/ZY6Ls1_DRtA


मृगनयनी को यार नवल रसिया, 
मृगनयनी को।।       

बड़ी-बड़ी अँखिया नैंनन में सुरमा, 
तेरी टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया ||1||

अतलस को याको लेंहगा सोहे,
झूमक सारी मेरो मन बसिया ||2||

छोटी अंगूरिन मुंदरी सोहे,
याके बीच आरसी मन बसिया. ||3||

याके बांह बड़ाे बाजूबन्द सोहे,
याके हियरे हार दिपत छतिया ||4||

रंगमहल में सेज बिछाई,
याके लाल पलंग पचरंग तकिया ||5||

पुरुषोत्तम प्रभु देख विवश भये,
सबे छोड़ ब्रज में बसिया.. ||6||

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