सोमवार, 18 जनवरी 2021

आशियां जल गया गुल्सिताँ लुट गया.../ राज़ इलाहाबादी (१९२९-१९९६)

 https://youtu.be/klDZYIzZzUE

Raaz Allahabadi : Jaabir Ali Khan was born in 1929 in Allahabad. 
He was the disciple of Syed Shamshad Husain Hamraaz. 
He wrote under the pen name, Raaz. He had been a very 
successful poet in mushairas. Ashk-E-Nadamat, Dhadkanein, 
Rang-O-Noor, and Manzilein are the collections of his works. 
He died on 28 December 1996 in Allahabad.

-राज़ इलाहाबादी

आशियां जलगया, गुल्सिताँलुटगया,
हमक़फ़ससेनिकलकरकिधरजाएँगे
इतनेमानूससय्यादसेहोगए,अबरिहाईमिलेगीतोमरजाएँगे

औरकुछदिनये दस्तूर-ए-मय-ख़ाना है,तिश्ना-कामीकेयेदिनगुज़रजाएँगे


मेरेसाक़ीकोनज़रेंउठानेतोदो,जितनेख़ालीहैंसब जाम भर जाएँगे




नसीम-ए-सहरतुझको उन की क़सम, उनसेजा कर कहनामिराहाल-ए-ग़म


अपनेमिटनेकाग़मतोनहींहैमगर, डर येहैउनकेगेसूबिखरजाएँगे




अश्क-ए-ग़मलेकेआख़िरकिधरजाएँहम,आँसुओं कीयहाँकोईक़ीमतनहीं


आपहीअपनादामनबढ़ादीजिए,वर्नामोतीज़मींपरबिखरजाएँगे




कालेकालेवोगेसूशिकन-दर-शिकन,वोतबस्सुम काआलमचमन-दर-चमन

खींचलीउनकीतस्वीर दिलनेमिरे,अबवोदामनबचाकरकिधरजाएँगे

मौत आवाज़ देती है शायद उन्हें, जाने वाले हैं दुनिया से अहले-वफ़ा
'राज़' ऐसे में कोई ग़ज़ल छेड़ दो, काफ़िले ज़िन्दगी के ठहर जाएँगे

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