रविवार, 31 जनवरी 2021

तोता उड़ी जाणा एक दिन रे......(अंतिम सत्य) / हिमाचली लोकगीत से प्रेरित / रचना : राजेंद्र आचार्य / स्वर : गोपाल शर्मा एवं राजेंद्र आचार्य

 https://youtu.be/KPDA1rpFxFw  

तोता उड़ी जाणा एक दिन रे 2 पिंजरा छोड़ी जाना एक दिन रे 2 रातें बीतें सोते सोते दिन ये बीते हँसते रोते सोचो विचारो जीवन में यारो क्या हो पाते क्या हो खोते कोठडू फुकी जाना एक दिन रे सब कुछ मुकी जाना एक दिन रे टिक टिक टिक पल जायेगा कोई आज गया कोई कल जायेगा न कर खुद पे इतना गुमान तू तेरा यौवन भी ढल जायेगा सपना टूटी जाना एक दिन रे सब तोसे रूठी जाना एक दिन रे बून्द बून्द जोड़ के भरे घड़ा तू खुद को सोचे फिर बड़ा तू है ये किस चक्कर में पड़ा तू भूल भुलैया में है अड़ा तू घड़ा यह फूटी जाना एक दिन रे सब यहीं छुटि जाना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें