https://youtu.be/pS1r_lsfna4
गायन : कुमारी शिवश्री स्कन्दप्रसाद हारमोनियम : श्री एस. मणिकंदन मृदंगम : श्री कार्तिक विश्वनाथन ढोलकी : श्री गोपाल कृष्णन
संत ज्ञानेश्वर (१२७५-१२९६), महाराष्ट्र तेरहवीं सदी के एक
महान सन्त थे| इन्होंने ज्ञानेश्वरी की रचना की। संत ज्ञानेश्वर
की गणना भारत के महान संतों एवं मराठी कवियों में होती है।
ये संत नामदेव के समकालीन थे और उनके साथ इन्होंने पूरे
महाराष्ट्र का भ्रमण कर लोगों को ज्ञान-भक्ति से परिचित
कराया और समता, समभाव का उपदेश दिया।
वे महाराष्ट्र-संस्कृति के 'आद्य-प्रवर्तकों' में भी माने जाते हैं।
एक तत्व नाम दृढ धरी मना |
हरिसी करुणा येईल तुझी ||१||
हरिसी करुणा येईल तुझी ||१||
ते नाम सोपे रे राम कृष्ण गोविंद |
वाचेसीं सदगद जपें आधीं ||२||
नामपरतें तत्व नाही रे अन्यथा ,
वायां आणिका पंथा जाशी झणे ||३||
ज्ञानदेवा मौन जप-माळ अंतरी,
धरोनी श्रीहरी जपे सदा ||४||
TRANSLATION :
O my mind, hold firmly to the essential Truth, the Divine Name.
Hari, the Lord, will shower His mercy on you.
Repeat it always with all your being.
It's so easy to repeat the name ; Rama, Krishna, Govinda.
There is no other truth like God's name.
To walk another path without the name is just a waste of time.
It's so easy to repeat the name ; Rama, Krishna, Govinda.
Gyandev says, silently behold the Jap Mala that is inside of you.
And repeat the name of God unceasingly.
Repeat it always with all your being.
It's so easy to repeat the name ; Rama, Krishna, Govinda.
It's so easy to repeat the name ; Rama, Krishna, Govinda.
A performing Bharathanatyam Artiste(Classical Dance form
of India) and Carnatic musician. A passionate painter, taking
up paid projects. Doing part-time modeling. Bio-Engineering
Graduate, worked on drug induced developmental or fetal defects.
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