रविवार, 24 जनवरी 2021

वो जो हममे तुममे क़रार था तुम्हें याद हो के ना याद हो.../ हक़ीम मोमिन ख़ान 'मोमिन' (१८००-१८५२) / मंजरी

 https://youtu.be/i0sYZhPe2jY

मोमिन ख़ाँ मोमिन, (१८००-१८५२), 
ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। मोमिन उर्दू के उन चंद बाकमाल 
शायरों में से एक हैं जिनकी बदौलत उर्दू ग़ज़ल की प्रसिद्धि और 
लोकप्रियता को चार चांद लगे।  वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के 
खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर ' तुम मेरे पास 
होते हो गोया /जब कोई दूसरा नही होता '  पर अपना पूरा दीवान देने की 
बात कही थी।

Manjari (born 17 April 1986)is an Indian playback singer and 
Hindustani vocalist. Her first stage performance was with Shiva
the Kolkata - based rock band, when she was in class eight.

वो जो हममे तुममे क़रार था तुम्हें याद हो के ना याद हो
वही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो के ना याद हो

कोई बात ऐसी अगर हुई के तुम्हारे जी को बुरी लगी
तो बयाँ से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो के न याद हो

सुनो ज़िक्र है कई साल का कोई वादा मुझ से था आप का
वो निभाने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो के न याद हो

वो नये गिले वो शिकायतें वो मज़े-मज़े की हिकायतें
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो के न याद हो

कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो के न याद हो

हुए इत्तेफ़ाक़ से गर बहम वो वफ़ा जताने को दम-ब-दम
गिला-ए-मलामत-ए-अर्क़बा तुम्हें याद हो के न याद हो

वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेश्तर वो करम के था मेरे हाल पर
मुझे सब है याद ज़रा-ज़रा तुम्हें याद हो के न याद हो

कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तगू
वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो के न याद हो

की बात मैंने वो कोठे की मेरे दिल से साफ़ उतर गई
तो कहा के जाने मेरी बला तुम्हें याद हो के न याद हो

वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का
वो नहीं-नहीं की हर आं अदा तुम्हें याद हो के न याद हो

जिसे आप गिनते थे आश्ना जिसे आप कहते थे बावफ़ा
मैं वही हूँ “मोमिन”-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो के न याद हो

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