https://youtu.be/_glbEubVymw
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से,
प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला,
स्वतंत्रता पुकारती।
अमर्त्य वीरपुत्र हो,
दृढ प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुण्य पंथ है,
बढे चलो,बढे चलो।।
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ,
विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
सपूत मातृभूमि के,
रुको न शूर साहसी।
अराति सैन्य सिंधु में,
सुवाड़वाग्नि-से जलो।
प्रवीर हो जयी बनो,
बढे चलो, बढे चलो।।
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