मंगलवार, 26 जनवरी 2021

भुवनभूषण ! भव्य भारतवर्ष ! भूतिनिधान हे !...(देश गान) / रचना : श्री विन्देश्वरी प्रसाद मिश्र / स्वर : माधवी मधुकर झा

 https://youtu.be/lrwzuavCZdU 


भुवनभूषण ! भव्यभारतवर्ष ! भूतिनिधान हे ! जय जयाजय ! धृतविनयनय ! हृद्य हिन्दुस्थान हे !!
अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
तीनों लोकों के अलङ्कार,अत्यंत सुंदर और ऐश्वर्य के खजाने,
हे भारतवर्ष ! हे अजय,विनय और नीति को धारण करनेवाले,
ह्रदय के प्रिय लगने वाले, दोषरहित,
हे हिन्दुस्थान तुम्हारी जय हो जय हो | || १ || यत्र रत्नवसुंधरा यत्र मणिमयभूधराः अमृतवाहिन्यस्तटिनयस्तव समृद्धिवितान हे !
हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
जहाँ की धरती रत्नमयी है जहाँ के पर्वत मणि युक्त हैं
ऐसे तुम समृद्धि संपन्न हो | जहाँ नदियां अमृत रस बहाती हैं।
ह्रदय के प्रिय लगने वाले, दोषरहित,
हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो || २ || वेदमर्यादाधनम, सत्यधर्मसनातनं दिव्यपावनजीवनं तव विहितशास्त्रविधान हे ! हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
वैदिक मर्यादा ही तुम्हारा धन है, जहाँ का धर्म सत्य सनातन है,
जहाँ का जीवन शास्त्रीय विधान से अनुशासित है, ह्रदय के प्रिय
लगने वाले, दोषरहित, हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो | ३ || विश्वव्यापिन्यायतिः लोकमंगलसंस्कृतिः जय जयार्यावर्त ! हिन्दुजनौघमंडितमान हे ! हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
जिसका विस्तार विश्वव्यापी है, जिसकी संस्कृति लोक मगलकारिणी है।
ऐसे हे हिंदू जनता के स्वाभिमान,आर्यावर्त तुम्हारी जय हो - जय हो।
ह्रदय के प्रिय लगने वाले, दोषरहित, हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो || ४ || भगवदवतारावनिः जगतगुरुगौरवरवनिः त्वं विविधविद्याकलाकलितात्मतत्वज्ञान हे ! हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
तुम्हारी भूमि भगवान के अवतारों तथा जगतगुरुओं की प्रसूतिस्थली है,
तुम विविध विधाओं और कलाओं से युक्त आत्मविद्या के केंद्र हो। ह्रदय
के प्रिय लगने वाले, दोषरहित, हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो || ५ || सर्वमानवताहितं तव हि वर्णाश्रमयुतं बाह्यभेदे सत्यभेदस्त्वयि विमल विज्ञान हे ! हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
तुम्हारा वर्णाश्रमव्यवस्था से युक्त समाज सारी मानवता का हित करने वाला है।
बाहरी भेद रहने पर भी तुम्हारा अनुशासन में अभेद विराजमान है। ह्रदय के प्रिय
लगने वाले, दोषरहित, हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो || ६ ||
राष्ट्रदेव ! वयनन्नुम - स्त्वत्स्वरुपमावापनुमः, वन्द्य ! वृन्दारक सुवृन्दामन्दनन्दित गान हे ! हृद्य हिन्दुस्थान हे ! अनवद्य हिन्दुस्थान हे !
हे राष्ट्रदेवता हम आपको नमस्कार करते हुए आपके स्वरुप में स्थित है।
देवताओं के द्वारा जिसके गीत विपुल रूप से गाए जाते हैं, ऐसे आप वंदनीय
राष्ट्र ! आपकी जय हो - जय हो | ह्रदय के प्रिय लगने वाले, दोषरहित,
हे हिन्दुस्थान ! तुम्हारी जय हो जय हो || ७ || भुवनभूषण ! भव्यभारतवर्ष ! भूतिनिधान हे ! जय जयाजय ! धृतविनयनय ! हृद्य हिन्दुस्थान हे !!
अनवद्य हिन्दुस्थान हे !

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर संस्कृत राष्ट्रगान, बहुत सारगर्भित, भारत माता की जय हो 🙏🙏

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