गुरुवार, 16 मार्च 2023

पिया मोरा बालक हम तरुणी गे.../ रचना : महाकवि विद्यापति / स्वर : श्रीमती रंजना झा

https://youtu.be/X4sxC9VbyyU   

पिया मोरा बालक हम तरुणी गे...
रचना : महाकवि विद्यापति 
स्वर : श्रीमती रंजना झा
भाषा : मैथिल

पिआ  मोरा   बालक  हम  तरुनी।  
कोन तप चूकि‍ भेलहुँ जननी।।
पहि‍रि‍  लेल  सखि‍  दछि‍नक  चीर।  
पि‍आ के देखैत मोर दगध सरीर।।
पिया लेल  गोद कए चललि‍ बाजार।  
हटिआक लोक पूछ के लागु तोहार।।
नहि‍ मोर  देओर कि‍ नहि‍ छोट भाइ।  
पुरब लिखल छल बालमु हमार।।
बाट रे  बटोहिआ कि‍ तुहु मोरा भाइ।  
हमरो समाद नैहर नेने जाइ।।
कहिहुन  बाबा  के किनए धेनु गाइ।  
दुधबा पियाइकें पोसता जमाइ।।
नहि‍ मोरा टाका अछि‍ नहि‍ धेनु गाइ।  
कोन बि‍धि‍ पोसब बालक जमाइ।।
भनइ   विद्यापति   सुनु   ब्रजनारि‍। 
धैऱज धए रहु मि‍लत मुरारि‍।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें