https://youtu.be/qhfQkn6Yv_U
ए री सखी फागुन मास सुहायो...
रचना : कृष्ण जीवन लछीराम
राग : होरी काफी गायन : भगवती प्रसाद गन्धर्व (व्रज भूमि)
ए री सखी फागुन मास सुहायो
रसिया, होल्री खेलन आयो
रसिया, होल्री खेलन आयो
अबीर गुलाल भरे फेंटन में
दौरि बदन लपटायो, रसिया...।।१।।
गारी गावे भाव बतावे,
रस भर रीझि रिझायो।
कृष्ण जीवन लछीराम के प्रभु कौं,
नाना भाँति नचायो, रसिया...।।२।।
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