बुधवार, 22 मार्च 2023

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लागे.../ सूफ़ी संगीत / ख़ुसरो, कबीर / गायन : ममता जोशी

 https://youtu.be/Q6ymQf120BI 

साजन हम तुम एक हैं बस कहन सुनन को दोय 
जैसे मन से मन को तौलिये सो दो मन कबहुँ न होय 

ख़ुसरो नदी प्रेम की और उल्टी वा की धार 
जो निकला सो तो डूब गया, जो डूबा सो हुआ पार 

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे 
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
मोहे पी की नजरिया मार गयी
सखि कासे कहूँ मोहे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ 

सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
मोहे पी की नजरिया मार गयी
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
पिया जीत गए मैं हार गयी
मैंने लाज का घूंघट खोल दियो 
पिया जीत गए मैं हार गयी

इन चूड़ियों की लाज पिया रखना 
ये तो पहन लई अब उतरत ना 
ये तो पहन लई अब उतरत ना 
मोरा मॉंग-सुहाग तुम्हैं से है 
मैं तो तुम पर जोबना लुटा बैठी 
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे
सखि कासे कहूँ मोहे लाज लगे

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