शुक्रवार, 24 मार्च 2023

चंद्रमुखी सन गौरी हमर छथि.../ शिव-पार्वती विवाह गीत / मैथिल महाकवि विद्यापति रचित / गायन : श्रीमती रंजना झा

 https://youtu.be/JD9gsauGP4Y 

चंद्रमुखी सन गौरी हमर छथि...
शिव-पार्वती विवाह गीत  
भाषा : मैथिली 
मैथिल महाकवि विद्यापति रचित  
गायन : श्रीमती रंजना झा 

गे माई चंद्रमुखी सन, गौरी हमर छथि
सुर्य सन करितौं जमाई

नारद के हम की रे बिगाड़लौं   
जिन बूढ़ आनल जमाई
गे माई एहेन सुनरि धिया 
तिनको केहेन पिया,
नारद आनल उठाई,
गे माई

परिछन चलली माई मनाईन
वर देखि खसलि झमाई
गे माई हम नै बियाहब ईहो तपसि वर
मोरी धिया रहती कुमारी,
गे माई

कहथिन गौरी सुनू हे सदाशिव
एक बेर रूप देखाऊ,
गे माई देखी जुड़ाईत माई मनाईन
देखत नगर समाज
गे माई

भनहि विद्यापति सुनु हे मनाईन
इहो थिका त्रिभुवन नाथ,
गे माई करम लिखल छल
ईहो तपसि वर
लिखल मेटल नहि जाय

गे माई चंद्रमुखी सन, गौरी हमर छथि
सुर्य सन करितौं जमाई

भावार्थ 

हे माई ! हमारी गौरी तो चंद्रमुखी (चाँद जैसे मुख वाली) है, 
इसके लिए मैं सूर्य (सूरज) जैसा जमाई  (जामाता/वर) करती। 

नारद का मैंने क्या बिगाड़ा था, जो ये बूढ़ा वर ले आये। 
हे माई ! ऐसी सुन्दर बेटी के लिए कैसा पिया नारद उठा कर ले आये। 
माँ मैना जब परीछने चलीं तो वर देख कर मुरझा गयीं। 
हे माई ! मैं इस तपसी वर से विवाह नहीं करुँगी, 
भले मेरी बेटी कुवाँरी रह जाये। 

गौरी कहती हैं कि, सुनो हे सदाशिव !
एक बार अपना रूप दिखा दो। 
जिसको देख कर माँ मैना का कलेजा ठंढा हो जायेगा 
और सारा नगर -समाज देखता रह जायेगा। 

विद्यापति कवि कहते हैं कि, हे मैना सुनो,
ये तो त्रिभुवन नाथ हैं। 
हे माई ! भाग्य में यही तपसी वर लिखा है,
और लिखा हुआ मिट नहीं सकता। 

हे माई ! हमारी गौरी तो चंद्रमुखी (चाँद जैसे मुख वाली) है, 
इसके लिए सूर्य जैसा जमाई  (जामाता/वर) करती। 

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