शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010

सहधर्मिणी को जन्म-दिवस पर सस्नेह समर्पित...
































































टिप्पणी :   यह कविता मेरे काव्य-संग्रह  'अंजलि भर भाव के प्रसून' से साभार उद्धृत है|
              - अरुण मिश्र.

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने .......

    थोडा समय यहाँ भी दे :-
    आपको कितने दिन लगेंगे, बताना जरुर ?....

    जवाब देंहटाएं
  2. bhai mishraji

    waah kya khoob likha hai.
    navratra ki shubkamnaye
    santosh pandey
    sarerang.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. कितने सुंदर सब्द और उससे अधिक सुंदर भाव कविता तो एक ऐसी निर्झरनी बन कर बह निकली कि हम उसमें ही डूबते उतराते रहे ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जिनके समर्पण में इतनी भावमयी-निर्झरनी प्रवाहित हुयी है, उन्हें जन्मदिवस की बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया आशा जी, प्रिय गजेन्द्र जी, प्रिय संतोष जी, एवं प्रिय अमित जी, आप सभी को कविता अच्छी लगी; इसके लिए आभारी हूँ |शारदीय नवरात्रि पर आप को एवं आप के परिवार के लिए ढेरों शुभकामनायें|
    -अरुण मिश्र.

    जवाब देंहटाएं