- मैथिली शरण गुप्ता
लहरों में सरजू के है तेरी अदा...
- अरुण मिश्र
कहते हैं जब मिलते या होते जुदा , 'जय राम जी' |
सदियों से भारत में गूंजे है सदा , 'जय राम जी' ||
सद्गुणों की खान , धीर , सुजान , वीर , महान हैं |
शत्रु भी श्री राम के गुन पे फ़िदा ; 'जय राम जी' ||
बाल - लीला से तेरे, गलियां अवध की झूमतीं |
लहरों में सरजू के है, तेरी अदा ; 'जय राम जी'||
पितुवचन हित राज तज अति सहज ही वन को चले |
रोती है हर आँख, यूँ करते विदा ; 'जय राम जी' ||
सीस दस , भुज बीस काटे, भूमि दसकंधर गिरा |
जय कहें हनुमंत, कर ऊँची गदा ; 'जय राम जी' ||
राम का ही नाम ले , करता 'अरुन' हर काम हूँ |
राम जानें भाग्य में, जो हो बदा , 'जय राम जी' ||
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'जय राम जी'
जवाब देंहटाएं'जय राम जी'
जवाब देंहटाएंप्रिय अमित जी एवं गौरव जी,आप लोग ब्लाग पर आये;अच्छा लगा| 'जय राम जी'|
जवाब देंहटाएं- अरुण मिश्र.