मंगलवार, 23 जुलाई 2019

॥चंद्रशेखरऽष्टकम्॥ ऋषि मार्कण्डेय कृत

https://youtu.be/VECfX823mxU
Chandrashekara Ashtakam is said to have been written by Sage Markandeya,
an ancient Hindu Rishi who was saved by Chandrashekara or Lord Shiva from
Lord of Death (Kala or Yama) at the age of 16 and blessed him to be 16 forever.

In these verses, the sage seeks refuge in Chandrashekara, who is the destroyer
of the various illusions and who is the personification of the three qualities and
worshipped as the Lord of the Lords. “When he is by my side, what can the
Lord of Death (Yama) do to me?”, asks Sage Markandeya.

॥चंद्रशेखरऽष्टकम्॥ ऋषि मार्कण्डेय कृत 

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम्। 
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम्॥

रत्नसानुशरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनम्। 
सिन्जिनीकृत पन्नगेश्वर अच्युतानन सायकम्॥ 
क्षिप्र दग्ध पुरत्रयं त्रिदिवालयैरभि वन्दितम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥१॥ 

पञ्च पादप पुष्प गंध पदाम्बुज द्वय शोभितम्। 

भाललोचन जातपावक दग्ध मन्मथ विग्रहम्॥ 
भस्म दग्ध कलेवरं भव नाशनं भवमाव्ययम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥२॥ 

 मत्त वारण मुख्य चर्म कृतोत्तरीय मनोहरम्। 

पङ्कजासन पद्मलोचन पूजिताङ्घ्रि सरोरुहम्॥ 
देव सिन्धु तरङ्गसीकर सिक्त शुभ्र जटाधरम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥३॥ 

 यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्ग विभूषणम्। 

शैलराजसुतापरिष्कृत चारु वाम कलेवरम्॥ 
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥४॥ 

 कुण्डलीकृत कुण्डलेश्वर कुण्डलं वृष वाहनम्। 

नारदादिमुनीश्वरस्तुत वैभवं भुवनेश्वरम्॥ 
अन्धकान्धकमाश्रित अमरपादपं श्रमनान्तकम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥५॥ 

 भेषजं भवरोगिणं अखिला पदामपहारिणम्। 

दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्॥ 
भुक्तिमुक्ति फलप्रदं  सकलाघसङ्घ निबर्हणं। 
चन्द्रशेखर माश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥६॥

भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम् ।
सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ॥७॥ 


 विश्व सृष्टि विधायिनं पुनरेव पालन तत्परम्। 

संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम्॥ 
क्रीडयन्तमहर्निशं  गणनाथयूथसमन्वितम्। 
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥८॥ 

 चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम्। 

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर राक्षमाम्॥ 
 ॥इतिश्री॥


1 टिप्पणी:

  1. देवाधिदेव भगवान शंकर की यह स्तुति जो भी सच्चे मन से गाएगा उसकी सभी मनोकामनाएं पुर्ण होगी ।
    मेवाड़ी भाषा में श्री चतर सिंह जी बावजी ने भी इसे गाया है ,वह भी लोक भाषा में अति सुन्दर रचना है ,जरूर आनंद लेवें । ॐ नमः शिवाय ।

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