शुक्रवार, 24 दिसंबर 2021

मैं अपने राम को रिझाऊँ.../ कबीर / गायन : मीर बासु बरक़त ख़ान

 https://youtu.be/SGLs-u71YGk 


मैं अपने राम को रिझाऊं।
राम को रिझाऊं ,
अपने श्याम को रिझाऊं।
मैं अपने राम को रिझाऊं।

डाली छेड़ू न पत्ता छेड़ू ,
ना कोई जिव सताऊं।
पात पात में प्रभु बसत है ,
वाही को शीश नवाऊँ।
मैं अपने ….

गंगा ने जाऊ जमुना ने जाऊ ,
ना कोई तीरथ नहाऊं।
अडसठ तीरथ घट के भीतर ,
तिन्ही में मलके नहाऊं।
मैं अपने ….

ओषधि खाऊं ना बूटी लाऊँ ,
ना कोई वैद्य बुलाऊँ।
पूर्ण वैद्य अविनासी,
वाही को नबज दिखाऊं।
मैं अपने ….

ज्ञान कुठारा कस कर बाँधू ,
सूरत कमान चढ़ाऊँ।
पांच चोर बसे घट भीतर ,
तिनको मार गिराऊं।
मैं अपने ….

योगी होऊं न जटा बढ़ाऊ ,
ना अंग विभूत रमाऊँ।
जेहि का रंग रंगे विधाता ,
और क्या रंग चढ़ाऊँ।
मैं अपने ….

चंद्र सूर्ये दोऊ समकार राख्यो ,
निजमन सेज बिछाऊं।
कहत कबीर सुनो भाई साधो ,
आवागमन मिटाऊं।
मैं अपने ….

मैं अपने राम को रिझाऊं।
राम को रिझाऊं ,
अपने श्याम को रिझाऊं।
मैं अपने राम को रिझाऊं।

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