महालक्ष्मी अष्टकम्
का काव्य-भावानुवाद (क्रमशः ४)
-अरुण मिश्र.
सिद्धि-बुद्धि सब देने वाली, भोग अरु मोक्ष प्रदायिनि! माता।
मन्त्र-पूत हे देवि सर्वदा ! महालक्ष्मी तुम्हें नमन है।।४ ।।
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मूल संस्कृत :
इन्द्र उवाच
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥४॥
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