महालक्ष्मी अष्टकम् (क्रमशः ७)
महालक्ष्मी अष्टकम्
का काव्य-भावानुवाद (क्रमशः ७)
-अरुण मिश्र.
तुम पद्मासन पर संस्थित हो, हे परब्रह्मस्वरूपिणि देवी!
हे परमेश्वरि ! हे जग-माता ! महालक्ष्मी तुम्हें नमन है।।७।।
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मूल संस्कृत :
इन्द्र उवाच
पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणि।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥७॥
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