आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की....
अक्टूबर ,२०११ में, दीवाली-पूजन के समय मन में यह विचार आया कि, इस अवसर पर जब
लक्ष्मी-गणेश की साथ-साथ पूजा होती है तो, एक संयुक्त आरती भी होनी चाहिए। पर, घर में
उपलब्ध आरती सग्रहों में ऐसी कोई संयुक्त आरती नहीं मिली। गणेश जी की जहाँ कई
आरती मिली, वहीँ लक्ष्मी जी की केवल एक आरती ही मिल पाई। ऐसा शायद सरस्वती-
पुत्रों के लक्ष्मी मैय्या के प्रति सहज पौराणिक अरुचि के कारण हो, जो अनावश्यक ही,
"लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम......" का दुराग्रह पाले रहते हैं और इसी कारण प्रायः
उन की विशेष कृपा से वंचित रह जाते हैं।
अस्तु, अगले दिन प्रातः एक संयुक्त आरती लिखने का प्रयास किया।
ऐसी लक्ष्मी-गणेश की संयुक्त आरती मेरी जानकारी में पहले कहीं अन्यत्र उपलब्ध नहीं है।
यह सयुंक्त आरती, दीपावली-पूजन के उपयोगार्थ, समस्त भक्त-जनों को सादर-सप्रेम प्रस्तुत हैं |
आशा है तीन छंदों की यह आरती लक्ष्मी-गणेश भक्तों को रुचिकर लगेगी तथा उन्हें सुख एवं
संतुष्टि देगी |अब की दीवाली-पूजन पर इस आरती का सपरिवार सोल्लास सदुपयोग करें । इसे इष्ट- मित्रों
तक भी पहुँचायें ।
-अरुण मिश्र.
श्री लक्ष्मी-गणेश जी की उक्त आरती को मेरे मित्र श्री केवल कुमार जी के संगीत निर्देशन में सुश्री प्राची चन्द्रा जी एवं सखियों ने स्वर दिया है। एतदर्थ मैं उन सब का आभारी हूँ। यह संगीतमय प्रस्तुति मेरे और श्री केवल कुमार के यू-ट्यूब पृष्ठ पर भी उपलब्ध है। आशा है इस बार दीपावली-पूजन पर यह उपयोगी होगी। श्री लक्ष्मी-गणेश सभी का कल्याण करें।
-अरुण मिश्र.
*आरती*
आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की |
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
दीपावलि में संग विराजें |
कमलासन - मूषक पर राजें |
शुभ अरु लाभ, बाजने बाजें |
ऋद्धि-सिद्धि-दायक - अशेष की ||
मुक्त - हस्त माँ, द्रव्य लुटावें |
एकदन्त, दुःख दूर भगावें |
सुर-नर-मुनि सब जेहि जस गावें |
बंदउं, सोइ महिमा विशेष की ||
विष्णु-प्रिया, सुखदायिनि माता |
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
गणपति, विमल बुद्धि के दाता |
श्री-समृद्धि, धन-धान्य प्रदाता |
मृदुल हास की, रुचिर वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति गणेश की ||
*
-अरुण मिश्र
(रश्मिरेख में पूर्वप्रकाशित )
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