महालक्ष्मी अष्टकम् ( क्रमशः ३)
महालक्ष्मी अष्टकम्
का काव्य-भावानुवाद ( क्रमशः ३)
-अरुण मिश्र.
हे सर्वज्ञ ! सर्व-वरदे माँ ! सर्व दुष्ट-जन को भय देतीं।
सर्व दुःख हर लेतीं देवी; महालक्ष्मी तुम्हें नमन है।।३ ॥
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मूल संस्कृत :
इन्द्र उवाच
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥३॥
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