महालक्ष्मी अष्टकम् (क्रमशः ५ )
महालक्ष्मी अष्टकम्
का काव्य-भावानुवाद (क्रमशः ५ )
-अरुण मिश्र.
तुम आद्यन्त-रहित हो देवी, आदिशक्ति हो महेश्वरी हो।
प्रकट और सम्भूत योग से; महालक्ष्मी तुम्हें नमन है।।५।।
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मूल संस्कृत :
इन्द्र उवाच
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोस्तु ते॥५ ॥
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