आज शरद पूर्णिमा......
-अरुण मिश्र.
आज शरद पूर्णिमा
शरद का चाँद
आज अमृत बरसेगा ॥
प्रासादों के दीर्घ अजिर में
महलों के विस्तीर्ण छतों पर ।
भर-भर खीर रखे जायेंगे
रजत कटोरे रात-रात भर ॥
जिन में चाँद
अमृत घोलेगा
राज कुँवर फिर उसे छकेगा ॥
पर उनका क्या होगा, जिनके
थाली में रोटी के लाले ।
खीर कहाँ से वो लाएंगे
जिन को मिलते नहीं निवाले ॥
पूर्ण चन्द्र फिर पीड़ा देगा
फिर उन का
ललुआ तरसेगा ॥
चन्दा तो सब का है, सब पर
शीतलता, चाँदनी लुटाता ।
काश कि, चन्दा सीधे सब की
जिह्वा पर अमृत टपकाता ॥
ऐसा हो तो शरद पूर्णिमा
सार्थक; सब का
मन हरषेगा ॥
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http://uttarpradeshbloggerassociation.blogspot.in/2011/07/blog-post_7636.html?m=1
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 15 अक्टूबर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! .
बहुत ही अनमोल कविता
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