रविवार, 7 अप्रैल 2019

दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद......जिगर मुरादाबादी

https://youtu.be/UnKoQ0A9E1Y

A Gazal recital of historical value.
Rarest clip of Jigar Muradabadi reciting his own Gazal
The only time that Hazrat Jigar Muradabadi
one of our greatest Urdu poets, appeared on 
the screen.

SHORT FILM SERIES 1957

ग़ज़ल  :  "दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद...." 



दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद 
अब मुझ को नहीं कुछ भी मुहब्बत के सिवा याद 

मैं शिक़वा-ब-लब  था मुझे ये भी न रहा याद 
शायद के मेरे भूलनेवाले ने किया याद 

जब कोई हसीं होता है सर्गर्म-ए-नवाज़िश 
उस वक़्त वो कुछ और भी आते हैं सिवा याद 

मुद्दत हुई इक हादसा-ए-इश्क़ को लेकिन 
अब तक है तेरे दिल के धड़कने की सदा याद 

हाँ हाँ तुझे क्या काम मेरे शिद्दत-ए-ग़म से 
हाँ हाँ नहीं मुझ को तेरे दामन की हवा याद 

मैं तर्क-ए-रह-ओ-रस्म-ए-जुनूँ कर ही चुका था 
क्यूँ आ गई ऐसे में तेरी लगज़िश-ए-पा याद 

क्या लुत्फ़ कि मैं अपना पता आप बताऊँ 
कीजे कोई भूली हुई ख़ास अपनी अदा याद
                          
                                             - जिगर मुरादाबादी 

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