घिरि घिरि घिरि नाचे...राधे / पार्वती बाउल
बाजो तो ड़म्भू रे, रबाब,पखवाज़,
करताल भरलो एक मेलि...
चलत चित्रमती समूल कलाबती,
करे करे नयाल नयने करो खेलि,
नाचो तो श्याम...
नाचो तो श्याम साथे गोप नारी...
घिरि घिरि घिरि नाचे, घिरि घिरि घिरि नाचे...
बाला अनुपूरामनी,बाजाये किङ्किनी ,
राशरासे रतिरणे कि मधुर शुनि...
कराये नत्तक राश हरिषे मुरारी,
गोबिन्द सहित नाचे गोपेर सुन्दरी...
घिरि घिरि घिरि नाचे, घिरि घिरि घिरि नाचे...
राधे, हरिषे मुरारी.
कोनो गोपी उच्चस्बरे गाय कृष्णसने,
साधुबाद देन तारे श्याम नटबरे...
कोनो गोपी राशरणश्रमयोद्धा हइया
आबेशे कृष्ण अङ्गे पड़े मूरछिया ...
घिरि घिरि घिरि नाचे, घिरि घिरि घिरि नाचे...
राधे हरिषे मुरारी..
राशहद उपरे पताका शशधरे,
कोकिले कय ताल हइया जागायो कामेरे,
बलो आनूपुरामनि किङ्किनीर बोल...
ताहे अति सुमधुर मुरालीगो बोल...
घिरि घिरि घिरि नाचे, घिरि घिरि घिरि नाचे...
राधे हरिषे मुरारी...
युगे युगे पाठाओ आरो नटिनी गोपीनि,
श्रीकृष्ण ताहाते आपनि यदुमनि ,
रतिरने बन्दी ता यतेक गोप नारी...
बङ्कबिलोकन सबे तुषिला श्रीहरि....
घिरिघिरिघिरि नाचे, घिरिघिरि घिरि....
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