https://youtu.be/kvXbPncEtn4
Ustad Jafar Hussain Khan Saheb Badayuni,
well-known qawwali singer was renowned for his Sufi music.
In a career spanning three decades, he won laurels at the
international Sufi festival in Europe in 1981 and the Festival
of India in France, in 1985. He also received the Sangeet
Natak Akademi Award in 1986. He died in 1913 at the age of
72, in Badayun, Uttar Pradesh.
"मंज़िल मिली, मुराद मिली, मुद्दआ मिला।
सब कुछ मिला मुझे जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला।
जब दूर तक न कोई फ़क़ीर आशना मिला।
तेरा नियाज़मन्द तेरे दर से जा मिला।।"
सब कुछ मिला मुझे जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला।
जब दूर तक न कोई फ़क़ीर आशना मिला।
तेरा नियाज़मन्द तेरे दर से जा मिला।।"
मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है
अब तो कह दो के तू हमारा है
आलम-ए-शौक़ में न जाने क्यों मैंने हर-दम तुम्हें पुकारा है
तू तो सब ही के पास है मौज़ूद
कौन कहता है तू हमारा है
तेरे सदक़े में ये तमाम जहाँ
अपनी ठोकर पे मैंने मारा है
राज़ को राज़ क्यों समझते हो
राज़ दुनिया पे आश्कारा है
अब तो कह दो के तू हमारा है
आलम-ए-शौक़ में न जाने क्यों
तू तो सब ही के पास है मौज़ूद
कौन कहता है तू हमारा है
तेरे सदक़े में ये तमाम जहाँ
अपनी ठोकर पे मैंने मारा है
राज़ को राज़ क्यों समझते हो
राज़ दुनिया पे आश्कारा है
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