मंगलवार, 4 जनवरी 2022

शंकर श्री गिरि नाथ प्रभु के.../ महाराजा स्वाति थिरुनाल (१८१३-१८४६) कृति / गायन : के. कॄष्ण कुमार

 https://youtu.be/62MtS_5phJk


शंकर श्री गिरि नाथ प्रभु के...
महाराजा स्वाति थिरुनाल कृति 
भाषा : हिन्दी 
गायन : के. कृष्ण कुमार

शंकर श्री गिरि नाथ प्रभु के 
नृत्य विराजित चित्रसभा में 

भस्म, त्रिनेत्र, गले रुण्डमाला 
भूतन के संग नाचत भृंगी 

झनन झनन धीन धीन त धीन, घूँघरू बाजे 
देव-मुनि सब गगन विराजे 

ध्रुकु तद्धिम तद्धिम तद्धि धुन बाजे
कोटि मदन जब देखे कि लाजे

ता-तई-त-कित-तक श्रुति गति राजे 
पद्मनाभ मन-कमल विराजे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें