https://youtu.be/1CRotcBazxE
मैथिल/अंगिका लोकगीत बारहमासा
प्रथम मास आषाढ़ हे सखी, साजि चलल जलधार हे
सबके बलमुआ रामा घरे-घरे ऐलैं, हमरो बलम परदेस हे
सबके बलमुआ रामा घरे-घरे ऐलैं, हमरो बलम परदेस हे
सावन हे सखी शब्द सुहावन रिमझिम बरसेला देव हे
बारी उमर, परदेस बालम, जियब कौन आधार हे
भादों हे सही रैनि भयावनि, सूझेला आर न पार हे
लौंका जे लौंकेला, बिजुरी जे चमकेला रामा, धड़केला जियरा हमार हे
आसिन हे सखी आस लगावल आसौ न पुरलै हमार हे
आस जे पूरे रामा कुबरी जोगिनिया के जिन संग रात बिलमाइ हे
कातिक हे सखी पुन्न महीना सब करैं गंगा अस्नान हे
सब सखी पहिरे पीत-पीतम्बर हम धनि लुगरी पुरान हे
अगहन हे सखी हरित सुहावन, चहुँ दिसि उपजेला धान हे
चाक-चकउवा रामा क्रीड़ा करत हैं वोही से जग-संसार हे
पूस हे सखी ओस पड़त है भीजेला अँगिया हमार हे
एक तो भीजे रामा नौरंग चोलिया दूसर भीजेला विदेस हे
माघ हे सखी पाला पड़त है, बिनु पिया जाड़ो न जाय हे
पिया जे रहते घरे रुइया भरइते, कटि जइते मघवा के जाड़ हे
फागुन हे सखी फाग खेलत हैं, घर-घर उड़ेला अबीर हे
सब सखी खेलें रामा अपने बलम से, हमरो बलम परदेस हे
चैत हे सखी चित मोरा चंचल, जियरा जे भइल उदास हे
कलियाँ जे चुन-चुन सेजिया जगउलों बिनु पिया सेजिया उदास हे
बैसाख हे सखी पतवा कटइनीं, रचि-रचि बंगला छवाइ हे
आनीं पिया मोरे रामा लाली पलंगिया, हम तनी बेनिया डोलाइ हे
जेठ हे सखी भेंट भइलें, उड़ि गइल वनवास हे
सावन आयल, सूरदास गायल, कहत ई सखी समुझाय हे
लोकगीतों की कड़ी में यह बारहमासा निस्संदेह अन्यतम है। यह लोक गीत सम्पूर्ण लोक मानस का प्रतिनिधित्व करता है। एक विरहिणी नायिका की वेदना के माध्यम से संपूर्ण प्रकृति और समाज का समग्र दिग्दर्शन कराया गया है।
जवाब देंहटाएंहमलोग बचपन में जब इस गीत को सुनते थे , तो रोम रोम आध्यात्मिक आनंद से भर जाता था,क्योंकि हर महीने की वेदना का वर्णन करते हुए गायक यह भी गाता था -
"यही प्रीति कारण सेतु बांधल
सिया उद्देश्ये सिरी राम हे।।"
नई पीढ़ी को इस धरोहर से परिचय कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
अर्जुन प्रभात
संपादक" मंदाकिनी"
9525925138
धन्यवाद आपका, प्रिय अर्जुन जी। शुभकामनाएं।
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