शुक्रवार, 28 जनवरी 2022

ला फिर एक बार वही बादा-ओ-जाम ऐ साक़ी.../ अल्लामा इक़बाल / शबनम मजीद

https://youtu.be/oTlyDtN_dVE

ला फिर इक बार वही बादा जाम साक़ी

हाथ जाए मुझे मेरा मक़ाम साक़ी

तीन सौ साल से हैं हिन्द के मय-ख़ाने बंद

अब मुनासिब है तिरा फ़ैज़ हो आम साक़ी

मेरी मीना-ए-ग़ज़ल*में थी ज़रा सी बाक़ी

*ग़ज़ल का जाम या ग़ज़ल की शराब

शेख़ कहता है कि है ये भी हराम साक़ी

शेर मर्दों से हुआ बेश-ए-तहक़ीक़* तही**

forest of research*/ तह**

रह गए सूफ़ी मुल्ला के ग़ुलाम साक़ी

इश्क़ की तेग़-ए-जिगर-दार*उड़ा ली किस ने

heat shaped sword*

इल्म के हाथ में ख़ाली है नियाम* साक़ी

मियान*

सीना रौशन हो तो है सोज़-ए-सुख़न* ऐन-ए-हयात**

passion for poetry* / जीवन का सार, पूर्ण जीवन**

हो रौशन तो सुख़न मर्ग-ए-दवाम* साक़ी

हमेशा की मौत*

तू मिरी रात को महताब से महरूम रख

तिरे पैमाने में है माह-ए-तमाम* साक़ी

full moon*


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