https://youtu.be/oTlyDtN_dVE
ला फिर इक बार वही बादा ओ जाम ऐ साक़ी
हाथ आ जाए मुझे मेरा मक़ाम ऐ साक़ी
तीन सौ साल से हैं हिन्द के मय-ख़ाने बंद
अब मुनासिब है तिरा फ़ैज़ हो आम ऐ साक़ी
मेरी मीना-ए-ग़ज़ल*में थी ज़रा सी बाक़ी
*ग़ज़ल का जाम या ग़ज़ल की शराब
शेख़ कहता है कि है ये भी हराम ऐ साक़ी
शेर मर्दों से हुआ बेश-ए-तहक़ीक़* तही**
forest of research*/ तह**
रह गए सूफ़ी ओ मुल्ला के ग़ुलाम ऐ साक़ी
इश्क़ की तेग़-ए-जिगर-दार*उड़ा ली किस ने
heat shaped sword*
इल्म के हाथ में ख़ाली है नियाम* ऐ साक़ी
मियान*
सीना रौशन हो तो है सोज़-ए-सुख़न* ऐन-ए-हयात**
passion for poetry* / जीवन का सार, पूर्ण जीवन**
हो न रौशन तो सुख़न मर्ग-ए-दवाम* ऐ साक़ी
हमेशा की मौत*
तू मिरी रात को महताब से महरूम न रख
तिरे पैमाने में है माह-ए-तमाम* ऐ साक़ी
full moon*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें