https://youtu.be/S46O6iEYtMo
भींजत कुंजन तें दोऊ आवत ।
ज्यों ज्यों बूंद परत चुनरी पर, त्यों त्यों हरि उर लावत ॥
ज्यों ज्यों बूंद परत चुनरी पर, त्यों त्यों हरि उर लावत ॥
जिहिं तिहिं मोर कोकिला बोलत, पवन तेज घन धावत।
मंद मंद कर मुरली मधुर सुर, राग मलार ही गावत ॥
मंद मंद कर मुरली मधुर सुर, राग मलार ही गावत ॥
अति रिम झिम फुहीं मेघन की, द्रुम तर बूंद बचावत ।
'सूरदास' प्रभु रीझि परसपर, त्यों त्यों रूचि उपजावत ॥
'सूरदास' प्रभु रीझि परसपर, त्यों त्यों रूचि उपजावत ॥
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