नये साल के स्वागत में.......
-अरुण मिश्र.
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
सुनते हैं, अब की दिल्ली में,
आम आदमी है सरकार।
कमल अधखिला, हाथ तंग है,
तार-तार सब भ्रष्टाचार।।
आम आदमी जयी-जयी है,
ख़ास मेहरियां क्षयी-क्षयी।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
गुरु गुड़ हुआ, चेला शक्कर,
मर्माहत सिद्धी में सिद्ध।
गुरु ने कही सो एक न मानी,
कीचड़ में घुस गया निषिद्ध।।
जब कीचड़ से कुर्सी उपजी,
काय कूं बन्दा करे नईं।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
आँख दबा, कहते समुझाय।
कमल और अरविन्द एक हैं,
दोऊ में कछु अन्तर नाय।।
मुरझेगा अरविन्द अगर, तो
कमल खिलेंगे कई-कई।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
गरज रहे हैं संत मंच से,
काला धन लाओ तत्काल।
लुंगी में सलवार छुपा कर,
खुल कर बेचें आँटा-दाल।।
कभी भागना पड़े मंच से,
काम आवे सलवार मुई।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
सन् चौदह में, कौन करेगा,
भारत - भू का बंटाढार।
फेंकू नित हुंकार भर रहे,
पप्पू भाँज रहे तलवार।।
इस कीचड़-उछाल बेला में,
शर्म-हया सब गई-गई।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
खुसुर-पुसुर है, तीन माह में,
धुल जायेंगे सारे पाप।
दफ़्तर बाहर लगी है लाइन,
पहले आप कि, पहले आप।।
नई बहुरिया के सब नखरे
सब ने हाथों-हाथ लई।।
नये साल के स्वागत में है,
मेरी कविता नयी-नयी।।
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टिप्पणी : नये वर्ष की हँसी-ठिठोली को कोई दिल पे न लेना यार !
नये साल में सब हँसो-खेलो, खिलखिलाओ, जश्न मनाओ।
नये सपने, नई उम्मीदें सजाओ।
नव-वर्ष सभी को शुभ हो ! कल्याणकारी हो !
-अरुण मिश्र
नव-वर्ष मंगलमय हो ! |