https://youtu.be/vBJFNYRLE7Y
गाना : लट उलझी सुलझा रे बालम
फिल्म : सवाल (पाकिस्तान, १९६६ )
संगीतकार : राशिद अत्रे
गीतकार : फ़ैयाज़ हाशमी
गायिका : नूरजहाँ
A simply beautiful and classic song from the film `Sawaal'
(picturised on Sabiha Khanum) re-sung by the Immortal
Madam Noor Jehan.
This song depicts the full-of-life expressions of Madam
and the way she's emoting them through her eyes, with
her utmost perfection, make this song even more beautiful,
memorable & ofcourse watchable... I am sure you all will
agree with it.
Enjoy this fabulous video!
लट उलझी सुलझा जा रे बालम
मैं ना लगाउँगी हाथ रे
चाँद से मुख़ड़े को नागन ज़ुलफ़ें
चाहे डसें सारी रात रे
लट उलझी सुलझा जा रे बालम ...
पह्ले हम को छेड़ रही थी जुल्मी हवा मस्तानी
मन की बतियां लिखने बैठी, जल गई ये दीवानी
बैरन लट क्या तोड़ सकेगी तेरा मेरा साथ रे
लट उलझी सुलझा जा रे बालम ...
जैसे चँचल मौजों से जब चाँदनी मिलने आए
देख सके न कारी बदरिया चाँद के आड़े आए
सुन ओ पगली प्यार के दुश्मन खा जाते हैं मात रे
लट उलझी सुलझा जा रे बालम ...
आज ये मेरे मन को जलाए मेरी एक न माने
कल ये तेरे बस में होगी बाँवरी ये ना जाने रे
इस नट-खट को सौ बल देना, आए जो तेरे हाथ रे
लट उलझी सुलझा जा रे बालम ...
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