रविवार, 19 जुलाई 2020

सावन : तुमको आने मे, तुमको बुलाने मे.../ मालिनी अवस्थी

https://youtu.be/3KELRPGGo8Y
बरखा ना सुहाय तेरे बिन
कलकते वाले पिया कब आओगे तुम

तुमको आने मे, तुमको आने मे
तुमको आने मे, तुमको बुलाने मे
कई सावन बरस गए साजना
तुमको आने में, तुमको बुलाने में
कई सावन बरस गए साजना
ढूंढते ढूंढते
ढूंढते ढूंढते ही ज़माने में
कई सावन बरस गए साजना
तुमको आने में, तुमको बुलाने में
कई सावन बरस गए साजना

दाग़ हैं दिल में लाखो गहरे हाय
दाग़ हैं दिल में लाखो गहरे
नयनों में अपने कजरा ना ठहरे
नयनों में अपने कजरा ना ठहरे
सपनों में आके मिला क्या सताने में
कई सावन बरस गए साजना
तुमको आने में, आने में
तुमको आने में, तुमको बुलाने में
कई सावन बरस गए साजना

बीत गया जुग पतिया पाए
रूठे बलम को कौन मनाये
बीत गया जुग पतिया पाए
रूठे बलम को कौन मनाये
मन की उमंगो को रो के सुनाने में
कई सावन बरस गए साजना
तुमको आने में, तुमको बुलाने में
कई सावन बरस गए साजना

पाके बिदेश मे सौतन कोई
अरे चैन ना लागे ओ निरमोही
पाके बिदेश मे सौतन कोई
चैन ना लागे ओ निरमोही
ओ निरमोही, ओ निरमोही, ओ निरमोही
पाके बिदेश मे सौतन कोई
चैन ना लागे ओ निरमोही
रतियो में बिंदिया लगाने मिटाने में
कई सावन बरस गए साजना
कई सावन बरस गए साजना

ढूंढते ढूंढते
ढूंढते ढूंढते ही ज़माने में
कई सावन बरस गए साजना
कई सावन बरस गए साजना
कई सावन बरस गए साजना

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