मैत्रीं भजत अखिलहृज्जेत्रीम्.../
रचना : कांची के परमाचार्य जगद्गुरु श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती (१८९४-१९९४) /
गायन : भारतरत्न श्रीमती एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी अम्मा (१९१६-२००४) /
प्रस्तुति : संयुक्त राष्ट्र (१९६६)
भावानुवाद :
सबका हृदय जीतने वाला
मैत्री-भाव भजो।
स्वयं सरीखा सब को देखो,
त्यागो अनुचित आक्रामकता;
स्पर्धा-युद्ध तजो।।
माँ है, सकल कामदा पृथ्वी
सर्व-दयालु पिता है ईश्वर।
सकल जनों के हेतु श्रेय हैं,
सयंम, दान, दया के शुभ वर।।
-अरुण मिश्र दाम्यत दत्त दयध्वं :
Mythological Reference: The Brihadaaranyaka Upanishad has the parable of the three da’s. When the divine beings, humans and demons approached their creator, Lord Brahma and asked for a lesson, he uttered the word “da“. The Devas understood it to be dāmyata, the humans understood it as datta and the Asuras took it to mean dayadhvaṃ.
dāmyata – Restrain yourself
dāmyata – Restrain yourself
datta – Give
dayadhvaṃ – Be kind
ENGLISH TRANSLATION :
dayadhvaṃ – Be kind
ENGLISH TRANSLATION :
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