रविवार, 26 जुलाई 2020

दिल धड़कने का सबब याद आया.../ नासिर काज़मी (१९२३-१९७२) की मशहूर ग़ज़ल / नूर जहाँ

https://youtu.be/WagZhH9qPdU

दिल धड़कने का सबब याद आया 
वो तिरी याद थी अब याद आया 

आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्त 
तू मुसीबत में अजब याद आया 


दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से 
फिर तिरा वादा-ए-शब याद आया 

तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा 
मर रहेंगे अगर अब याद आया 

फिर कई लोग नज़र से गुज़रे 
फिर कोई शहर-ए-तरब याद आया


हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन 
जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया 

बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर' 
हम बहुत रोए वो जब याद आया 

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