https://youtu.be/8eArFBr0z-Y
कोटा के विख्यात कवि, बशीर अहमद मयूख अब ९४ वर्ष के हैं।
उन्होंने कविता और हिंदुत्व के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। उन्होंने
ऋग्वेद की ऋचाओं का हिंदी काव्यानुवाद किया है। सभी धर्मो के
प्रमुख ग्रंथों के खास- खास सूक्तों को भी हिंदी कविता की लडि़यों
में पिरोया है। कोटा में उनके द्वारा निर्मित शिव मंदिर में नियमित
पूजा अर्चना होती है। बिड़ला फाउंडेशन ने उनकी पुस्तक "अवधूत
अनहद नाद" को बिहारी पुरस्कार प्रदान किया है। जापान के एक
विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग में उनके द्वारा लिखी कविता पढ़ाई
जा रही है। श्री मयूख को वर्ष २०१८ में, केंद्र सरकार की ओर से,
प्रवासी भारतीय केंद्र नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद द्वारा 'विश्व हिन्दी सम्मान' से भी नवाजा गया है।
श्री मयूख गत पाँच दशकों से निरंतर सृजन रत हैं। आपके द्वारा 1973 में
प्रकाशित ‘स्वर्ण रेख’, जिसमें ऋग्वेद की ऋचाओं का भावानुवाद है,
उनका कवि सम्मेलनों में हजारों श्रोताओं के बीच में एक ऋषि की
ओजस्वी वाणी में वाचन करना, अपने आपमें अद्भुद प्रयास रहा है।
श्री मयूख ने, जैन सूक्तों का, गुरुग्रन्थ साहिब का भावानुवाद कर,
एक मुस्लिम भारतीय सांस्कृतिक मन की जिस उदात्तता का परिचय
दिया है, वह अद्भुद है। आपके द्वारा ‘‘मयूरवेश्वर शिव मंदिर,’’ की स्थापना,
तथा वहां धार्मिक, आध्यात्मिक वातावरण की संरचना के साथ सामाजिक
चेतना का केन्द्र बनाने का प्रयास अपने आप में अभूतपूर्व है।
श्री मयूख द्वारा सृजित कृतियां हैं -
1. ‘स्वर्ण रेख’- (ऋग्वेद की ऋचा मंत्रों का काव्य रूप है- जो 1973 में
प्रकाशित हुआ है। दो कविताएं, एन.सी. आर.टी. द्वारा प्रकाशित हिन्दी
के 11वीं व बारवीं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।
2. ‘अर्हत ’(1975) सूक्त काव्य का भाषानुवाद
3. ‘ज्योतिपथ (1984)’ वेद, उपनिषद, गीता, कुरान, गुरुग्रन्थ साहिब,
जैन, बौद्ध आगम का भाषानुवाद
4. ‘सूर्य बीज’ (1991)
5. ‘अवधू अनहद नाद ' (1998) ...., बिहारी पुरस्कार प्राप्त।
6. संस्कृति के झरोखे से (2000) सांस्कृतिक निबन्ध संग्रह
कोटा के विख्यात कवि, बशीर अहमद मयूख अब ९४ वर्ष के हैं।
उन्होंने कविता और हिंदुत्व के क्षेत्र में मिसाल कायम की है। उन्होंने
ऋग्वेद की ऋचाओं का हिंदी काव्यानुवाद किया है। सभी धर्मो के
प्रमुख ग्रंथों के खास- खास सूक्तों को भी हिंदी कविता की लडि़यों
में पिरोया है। कोटा में उनके द्वारा निर्मित शिव मंदिर में नियमित
पूजा अर्चना होती है। बिड़ला फाउंडेशन ने उनकी पुस्तक "अवधूत
अनहद नाद" को बिहारी पुरस्कार प्रदान किया है। जापान के एक
विश्व विद्यालय के हिंदी विभाग में उनके द्वारा लिखी कविता पढ़ाई
जा रही है। श्री मयूख को वर्ष २०१८ में, केंद्र सरकार की ओर से,
प्रवासी भारतीय केंद्र नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति
रामनाथ कोविंद द्वारा 'विश्व हिन्दी सम्मान' से भी नवाजा गया है।
श्री मयूख गत पाँच दशकों से निरंतर सृजन रत हैं। आपके द्वारा 1973 में
प्रकाशित ‘स्वर्ण रेख’, जिसमें ऋग्वेद की ऋचाओं का भावानुवाद है,
उनका कवि सम्मेलनों में हजारों श्रोताओं के बीच में एक ऋषि की
ओजस्वी वाणी में वाचन करना, अपने आपमें अद्भुद प्रयास रहा है।
श्री मयूख ने, जैन सूक्तों का, गुरुग्रन्थ साहिब का भावानुवाद कर,
एक मुस्लिम भारतीय सांस्कृतिक मन की जिस उदात्तता का परिचय
दिया है, वह अद्भुद है। आपके द्वारा ‘‘मयूरवेश्वर शिव मंदिर,’’ की स्थापना,
तथा वहां धार्मिक, आध्यात्मिक वातावरण की संरचना के साथ सामाजिक
चेतना का केन्द्र बनाने का प्रयास अपने आप में अभूतपूर्व है।
श्री मयूख द्वारा सृजित कृतियां हैं -
1. ‘स्वर्ण रेख’- (ऋग्वेद की ऋचा मंत्रों का काव्य रूप है- जो 1973 में
प्रकाशित हुआ है। दो कविताएं, एन.सी. आर.टी. द्वारा प्रकाशित हिन्दी
के 11वीं व बारवीं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है।
2. ‘अर्हत ’(1975) सूक्त काव्य का भाषानुवाद
3. ‘ज्योतिपथ (1984)’ वेद, उपनिषद, गीता, कुरान, गुरुग्रन्थ साहिब,
जैन, बौद्ध आगम का भाषानुवाद
4. ‘सूर्य बीज’ (1991)
5. ‘अवधू अनहद नाद ' (1998) ...., बिहारी पुरस्कार प्राप्त।
6. संस्कृति के झरोखे से (2000) सांस्कृतिक निबन्ध संग्रह
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