https://youtu.be/xV7cJBIzdJQ
चला फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फूल बिरौला हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी मैं घौर छोड्यावा हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालू बसंत मैं घौर छोड्यावा हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि चला फुलारी फूलों को सौदा-सौदा फूल बिरौला भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ ना उनु धरम्यालु आगास ना उनि मयालू यखै धरती अजाण औंखा छिन पैंडा मनखी अणमील चौतर्फी छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा मैं घौर छोड्यावा हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फुल फुलदेई दाल चौंल दे घोघा देवा फ्योंल्या फूल घोघा फूलदेई की डोली सजली गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा होला चैती पसरू मांगणा औजी खोला खोलो मा ढक्यां द्वार मोर देखिकी फुलारी खौल्यां होला हिंदी अनुवाद :
चलो 'फुलारियो'! (फूल डालने वाले बच्चे) फूलों के लिए ताज़े ताज़े फूल चुन लें हे जी ! खेतों में खिल गयी होंगी 'फ्योलि' की लड़ियाँ मुझे घर छोड़ आओ हे जी ! घर और वन में लौट आया होगा सुकुमार बसन्त मुझे घर छोड़ आओ चलो 'फुलारियो'! (फूल डालने वाले बच्चे) फूलों के लिए ताज़े ताज़े फूल चुन लें भँवरों के झूठे फूल ना तोड़ना मधु-मक्खियों के झूठे फूल ना लाना ना वैसा निर्मल यहाँ का आकाश, ना स्नेहिल यहाँ की धरती अनजान लोग हैं, विपरीत मनुष्य अनमेल हैं चारों ओर छी ! अभागे परदेस में तुम्हें रहना है, रहो मुझे घर छोड़ आओ फुल फुल देवी! दाल चावल दे घोघा देवता, फ्युली के फूल घोघा फुलदेयी की डोली सजेगी गुड़ का प्रसाद, दही, दूध-भात का नैवेद्य खिले होंगे फूल हमारे उगाये हुवे आड़ू (peach), ख़ुबानी (apricot) पर होंगे चैत (महीने) का शगुन माँग रहे, औजी (drummers) आँगन आँगन में ढके हुवे दरवाजे (मोरी) देख कर 'फुलारि' (फूल डालने वाले बच्चे), ठगे रह गये होंगे
शब्दों का गहराई से उपयोग किया है। बहुत सुन्दर उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व
जवाब देंहटाएं