चलो रे! खेलें फाग; होली है...
-अरुण मिश्र
चलो रे! खेलें फाग; होली है।
सगरो ब्रज में, धूम मची है;
लोक-लाज, कछु नाय बची है;
इत राधा,सखियन संग निकसीं,
उत, नंदलाल की टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
नव वसंत कै, बाजै नूपुर;
लहरै सरजू, उमगै अवधपुर;
चलीं सीय, सखियन संग उतहीं,
जित, रघुवीर की टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
धूम मची, कैलास-सिखर पर,
नाचें सिव-गनेस, डमरू-स्वर
सुनि गौरा, सखियन संग धाईं,
बम-भोले की भागी, टोली है।
चलो रे! खेलें फाग; होली है।।
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