मंगलवार, 23 मार्च 2021

व्रज में हरि होरी मचाई.../ धमार के पद, राग काफी / सूरदास जी / गायक : राजीव रावत

https://youtu.be/dVnJxqgN8bg 

सम्पूर्ण भजन 

व्रज में हरि होरी मचाई ।

इततें आई कुँवरि राधिका उततें कुँवर कन्हाई ।
खेलत फाग परसपर हिलमिल शोभा बरनी न जाई ॥१॥ 

नंद घर बजत बधाई….ब्रज में हरि होरी मचाई ।

बाजत ताल मृदंग बांसुरी वीणा ढफ शहनाई ।
उडत अबीर गुलाल कुंकुमा रह्यो सकल ब्रज छाई ॥२॥ 

मानो मघवा झर लाई…..ब्रज में हरि होरी मचाई ।

लेले रंग कनक पिचकाई सनमुख सबे चलाई ।
छिरकत रंग अंग सब भीजे झुक झुक चाचर गाई ॥३॥ 

परस्पर लोग लुगाई…ब्रज में हरि होरी मचाई ।

राधा ने सेन दई सखियन को झुंड झुंड घिर आई ।
लपट झपट गई श्यामसुंदर सों बरबस पकर ले आई ॥४॥ 

लाल जु को नाच नचाई…ब्रज में हरि होरी मचाई ।

छीन लई हैं मुरली पीतांबर सिरतें चुनर उढाई ।
बेंदी भाल नयन बिच काजर नकबेसर पहराई ॥५॥ 

मानो नई नार बनाई …..ब्रज में हरि होरी मचाई ।

सुस्कत है मुख मोड मोड कर कहां गई चतुराई ।
कहां गये तेरे तात नंद जी कहां जसोदा माई ॥६॥ 

तुम्ह अब ले ना छुडाई….ब्रज में हरि होरी मचाई ।

फगुवा दिये बिन जान न पावो कोटिक करो उपाई ।
लेहूं कढ कसर सब दिन की तुम चित चोर सबाई ॥७॥ 

बहुत दधि माखन खाई….ब्रज में हरि होरी मचाई ।

रास विलास करत वृंदावन जहां तहां यदुराई ।
राधा श्याम की जुगल जोरि पर सूरदास बलि जाई ॥८॥ 

प्रीत उरहि न समाई….ब्रज में हरि होरी मचाई ।

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